छत्तीसगढ़ में आदेश के बाद भी सार्वजनिक नहीं हुई निजी स्कूलों की फीस की जानकारी

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March 27, 2025


हर साल निजी स्कूल मनमाने ढंग से अभिभावकों को लूटने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। एक साल पहले ही बाल संरक्षण आयोग ने भी सख्त रूख अपनाया था। निजी स्कूलों की फीस की जानकारी सार्वजनिक करने को कहा था।

By Shashank Shekhar Bajpai

Publish Date: Thu, 27 Mar 2025 11:47:16 AM (IST)

Updated Date: Thu, 27 Mar 2025 11:47:16 AM (IST)

छत्तीसगढ़ में आदेश के बाद भी सार्वजनिक नहीं हुई निजी स्कूलों की फीस की जानकारी
प्रतीकात्मक तस्वीर।

HighLights

  1. निजी स्कूलों में जारी है मनमानी, फीस बढ़ाए जाने से परेशान हो रहे हैं माता-पिता।
  2. बाल संरक्षण आयोग की ओर से कलेक्टरों को लिखे गए पत्रों का नहीं हुआ पालन।
  3. जिम्मेदार अधिकारी भी निजी स्कूलों की नियमित मॉनिटरिंग नहीं कर रहे हैं।

नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर। निजी स्कूलों की मनमानी फीस वसूली को लेकर एक साल पहले ही बाल संरक्षण आयोग ने भी सख्त रूख अपनाया था। निजी स्कूलों की फीस की जानकारी सार्वजनिक करने को कहा था। यानी स्कूलों के बाहर चार गुना आठ फीट का बोर्ड लगाकर तय की गई फीस की जानकारी सार्वजनिक करनी होगी।

साथ ही इसे स्कूल की वेबसाइट पर भी फीस की जानकारी दिखानी होगी। इसके लिए आयोग ने आदेश जारी कर सभी कलेक्टरों को पत्र लिखकर कहा था कि निजी स्कूलों की फीस की जानकारी सार्वजनिक होनी चाहिए, लेकिन इस आदेश का कहीं भी पालन नहीं हो रहा है।

अफसर भी निजी स्कूलों की नियमित मॉनिटरिंग नहीं कर रहे हैं। यही वजह से हर साल निजी स्कूल मनमाने ढंग से अभिभावकों को लूटने की कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। गौरतलब है कि प्रदेश में निजी स्कूल संचालक अपनी मर्जी से हर वर्ष फीस में बढ़ोतरी कर रही है।

तय मानक के अनुसार बढ़ा सकते हैं फीस

आयोग की ओर से जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि छत्तीसगढ़ अशासकीय फीस विनियमन और शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुसार फीस होगी। तय मानक के अनुसार ही फीस की बढ़ोतरी करनी होगी। आयोग ने सभी जिलों के कलेक्टर और जिला फीस समितियों को आदेश जारी किया था, ताकि फीस बढ़ोतरी की शिकायत पर लगाम कस सकें।

8 फीसदी से ज्यादा फीस नहीं बढ़ा सकते

स्कूलों के मनमानी फीस बढ़ाने पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार 2020 में फीस विनियमक अधिनियम लेकर आई थी। इस अधिनियम के तहत निजी स्कूल साल में आठ प्रतिशत तक फीस बढ़ोतरी कर सकते हैं। ज्यादा करने पर जिला स्तर गठित समिति को जानकारी देनी थी, लेकिन प्रदेश में इसका पालन नहीं हो रहा है।

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यहां न तो फीस संरचना पारदर्शी हो सकी है न ही कमेटी के पास अनुमति लेने की व्यवस्था काम कर रही है। सिर्फ शासन-प्रशासन व्यवस्था बनाकर भूल गए हैं। इतना ही नहीं स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पोर्टल में निजी स्कूलों से विभिन्न मद से ली जा रही फीस संरचना को अपलोड करना था। यह कार्य भी नहीं हो रहा है।



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