गरियाबंद जिले के तेल नदी के सेनमुड़ा घाट में निर्मित 2 करोड़ रुपए की लागत का डायाफ्राम वॉल पहली ही बारिश में क्षतिग्रस्त हो गया। यह वॉल सुपेबेड़ा जल प्रदाय योजना के लिए बनाया गया था।

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साल 2021 में स्वीकृत और 2022 में पूर्ण हुए इस वॉल का लगभग 20 मीटर हिस्सा पहली ही बारिश में टूट गया। कुल 100 मीटर लंबे वाल की मरम्मत का दावा सिंचाई विभाग ने किया। विभाग के अनुसार वाल की सुरक्षा के लिए बोल्डर भी लगाए गए।

वॉल का लगभग 20 मीटर हिस्सा पहली ही बारिश में टूट गया।

वॉल का लगभग 20 मीटर हिस्सा पहली ही बारिश में टूट गया।

जिला पंचायत निर्माण समिति के सभापति देशबंधु नायक ने इस निर्माण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि अनुमान के अनुसार वॉल की मजबूती सुनिश्चित नहीं की गई। यह जिले का पहला ऐसा निर्माण है, जो पूरा होने से पहले ही क्षतिग्रस्त हो गया।

इस मामले में और भी गंभीर आरोप सामने आए हैं। कार्य की देखरेख करने वाले इंजीनियर पीआर सिरमौर्य के खिलाफ कार्रवाई के बजाय उन्हें छुरा का सब डिवीजन एसडीओ बना दिया गया। अन्य इंजीनियर इस काम का चार्ज लेने से बचते रहे। नायक ने झाखर पारा शिविर में इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।

कांग्रेस सरकार ने सुपेबेड़ा जल प्रदाय योजना की मंजूरी दी थी, जिसका टैंक तेल नदी में सेनमुड़ा घाट पर बनाया जा रहा था। इसी टैंक में जल स्तर बनाए रखने के लिए टैंक से महज 30 मीटर दूरी पर डायाफ्राम वॉल खड़ा किया गया था। ताकि नदी का बहाव एक स्तर पर रुका रहे और टैंक भरने में आसानी हो।

एस के बर्मन, कार्यपालन अभियंता सिंचाई विभाग ने कहा कि टूटने का बाद वॉल की मरम्मत की गई थी। वॉल के दूसरे हिस्से पर भी सपोर्टिंग कार्य कराए गए। जितना काम होना था हो गया।टूटने के कारण पेनल्टी के तौर पर 5 लाख ठेका कंपनी से लिया गया है।



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