रायपुर के बिरगांव स्थित स्वास्थ्य केन्द्र में बच्ची को जन्म देने के 12 घंटे के भीतर मां साक्षी (24 साल) की मौत हो गई थी। पूरे मामले में 4 सदस्यीय जांच कमेटी बनाई गई थी। जांच दल में जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संजीव वोहरा, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ निर्मला
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इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि हॉस्पिटल एडमिनिस्ट्रेशन की ओर से लापरवाही बरती गई थी। महिला को समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण उसकी मौत हुई है। पूरे मामले में अब हॉस्पिटल अधीक्षक डॉ. अंजना कुमार लाल और मेल नर्स अनुपम को दोषी बताया गया है। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट रायपुर सीएमएचओ को दी है।

ये तस्वीर साक्षी की है। हॉस्पिटल में एडमिट होने से कुछ समय पहले की।
कांग्रेस बोली: सरकारी रिपोर्ट में फैक्चुअल मिस्टेक
वहीं इस मामले में कांग्रेस ने भी एक जांच कमेटी बनाई है। इस कमेटी का कहना है कि सरकारी जांच रिपोर्ट में फैक्चुअल मिस्टेक है। हादसे वाली रात यानी 9 जून को नाइट ड्यूटी में डॉक्टर शैलेंद्र उपाध्याय की ड्यूटी लगाई गई थी। रिपोर्ट में बताया गया है कि उपस्थिति रजिस्टर में उनके दस्तखत हैं। जबकि रजिस्टर में यह तारीख का बॉक्स खाली है।
रात को लगनी थी महिला विशेषज्ञ की ड्यूटी, अधीक्षक ने नहीं लगाई
कमेटी के मुताबिक, प्रभारी डॉ. अंजना कुमार लाल ने रात में महिला विशेषज्ञ की ड्यूटी नहीं लगाई। इसके अलावा सुबह सर्जरी के दौरान मामला जटिल होने के बाद भी फॉलोअप लेने की जरूरत नहीं समझी। वहीं मेल नर्स अनुपम ने परिजनों के लगातार निवेदन करने के बाद भी डॉक्टर को बुलाने के बजाय खुद ही इंजेक्शन लगाने का फैसला कर लिया।

बच्ची को जन्म देने के 12 घंटे बाद बच्ची की मौत हो गई थी।
पति ने बताया बच्ची का नाम सोच रहे थे, तभी बिगड़ी तबीयत
साक्षी के पति दीपक निषाद ने भास्कर को पूरे मामले पर बताया कि वक्त पर इलाज मिला होता, तो मेरी पत्नी जिंदा होती।

साक्षी बहुत खुश थी। रात के करीब 11 बज रहे थे। मैं और वो साथ मिलकर बच्ची का नाम सोच रहे थे। तभी उसके कमर में दर्द उठा। मैं ड्यूटी डॉक्टर के रूम की तरफ भागा, वहां कोई नहीं था। एक कमरे में वॉर्ड बॉय सोया था। मैंने उसे जगाया। वार्ड बॉय ने आकर साक्षी को एक इंजेक्शन लगाया। दो घंटे बाद उसने रिस्पांस करना बंद कर दिया। सुबह चार बजे मेकाहारा लेकर आए, तो डॉक्टरों ने बताया कि साक्षी की मौत हो चुकी है।
वहीं पीड़ित परिवार का ने भी अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही आरोप लगाया था। दीपक के मुताबिक 9 जून की रात आठ बजे वार्ड से बाकी परिवार वाले साक्षी और बेटी के वेलकम की तैयारी करने के लिए घर निकल गए थे। मैं और साक्षी दोनों फ्यूचर प्लान करने लगे। बहुत सारी बातें हो रहीं थी। तभी साक्षी को तेज प्यास लगी। मौजूद स्टाफ से पूछकर मैंने साक्षी को थोड़ा पानी पिला दिया।

अचानक दर्द उठा, साक्षी ने रिस्पांस देना बंद कर दिया
करीब 11 बजे साक्षी को कमर में तेज दर्द उठा। उसने कहा कि, सहन नहीं हो रहा डॉक्टर को बुलाओ जल्दी। मैं ड्यूटी डॉक्टर के रूम पर पहुंचा। वहां कोई नहीं था। बगल के एक कमरे में वार्ड बॉय लेटा हुआ था। मैंने उसे पूरी बात बताई। वो मेरे साथ साक्षी के पास पहुंचा।
वार्ड बॉय ने उसे एक इंजेक्शन लगाया। मुझसे कहा- दर्द कम हो जाएगा, लेकिन कुछ वक्त लगेगा। घंटे-डेढ़ घंटे बाद साक्षी बिल्कुल शांत हो गई। वो कुछ भी रिस्पांस नहीं कर रही थी। मैंने उसे कई दफा आवाज दी लेकिन वो नींद से जागी ही नहीं। मैं डर गया और दोबारा वार्ड बॉय के पास पहुंचा।
वार्ड बॉय बोला- नौटंकी कर रही होगी, डेथ हो गई थी
पति ने बताया कि वार्ड बॉय बार-बार बुलाए जाने से चिढ़ गया था। वो साथ चलने को तैयार नहीं था। कई दफा गुजारिश करने के बाद साथ आया। साक्षी को देखते ही कहा- नौटंकी कर रही है। इसके बाद उसने पानी के कुछ छींटे उसके चेहरे पर मारे। साक्षी ने कोई हरकत नहीं की। स्टाफ ने मेकाहारा ले जाने को कह दिया।
सुबह 4 बजे के करीब हम मेकाहारा पहुंचे। यहां कुछ देर तक जांच करने के बाद डॉक्टरों ने बताया कि साक्षी की डेथ यहां लाने से पहले ही हो चुकी है। यहां अस्पताल प्रभारी डॉ अंजू लाल भी पहुंची थीं। उन्होंने मुझसे कहा- कुछ गड़बड़ था तो मुझे बता तो देते। ये कहकर वो चलीं गईं।

ये साक्षी, उनके पति और बेटी की साथ में आखिरी तस्वीर है। जो बेटी के जन्म के कुछ समय बाद की है। तब साक्षी आराम कर रही थी।
ससुर बोले- भगवान ने एक बेटी झोली में डाली, एक छीन ली
साक्षी के ससुर बोले कि साक्षी मेरी पहली बेटी थी। वो पूरे परिवार काे बांधकर रखी हुई थी। भगवान ने एक बेटी दी तो एक छीन ली। मैं तो बार-बार कह ही रहा था कि प्राइवेट हॉस्पिटल में ले जाते हैं। लेकिन घर वालों और डॉक्टरों ने मुझे विश्वास दिलाया था कि सब कुछ सही होगा।

मैंने कई बार बोला कि कुछ भी लगे तो मुझे बताइएगा। किसी चीज की कमी नहीं होनी चाहिए। लेकिन बताइए, मेरी बेटी को सही वक्त पर डॉक्टर ही नहीं मिल पाया। वो लोग घर में सोए हुए थे। मैं यही कहूंगा कि खर्च लगे तो लगे लेकिन सरकारी अस्पताल में इलाज मत कराइए। ये लोग जान ले लेंगे।