आम दिनों में ऐसा करने वालों के पैर जल सकते हैं, लेकिन होलिका की रात यहां दहकते अंगारों पर चलने वाले किसी को कुछ नहीं होता। इसके लिए पहले बैगा पूजा करते हैं। इसके बाद ही लोग अंगारों पर चल सकते हैं।
By Navodit Saktawat
Publish Date: Fri, 14 Mar 2025 07:29:07 PM (IST)
Updated Date: Fri, 14 Mar 2025 08:08:54 PM (IST)

HighLights
- करजी गांव में बच्चों से लेकर बड़ों तक चले अंगारों पर।
- बड़ी संख्या में होलिका दहन में शामिल हुए ग्रामीण लोग।
- लोगों कहते हैं कि हर व्यक्ति इन अंगारों पर चल सकता है।
नईदुनिया प्रतिनिधि, अंबिकापुर। सरगुजा जिले के करजी गांव में होलिका के जलते अंगारों पर नंगे पैर चलने की परंपरा का निर्वहन इस वर्ष भी गुरुवार की रात किया गया। बच्चों से लेकर बड़ों तक इस परंपरा में शामिल श्रद्धाभाव से शामिल हुए।आसपास के गांवों से भी बड़ी संख्या में लोग इस आयोजन में सहभागी बने। यह परंपरा लोगों की आस्था से जुड़ी हुई है। ग्रामीणों का मानना है कि अंगारों पर चलने वालों को बीमारियां नहीं होती और गांव में खुशहाली बनी रहती है।
- मान्यता है कि यहां श्रद्धाभाव से आने वाला हर व्यक्ति धधकते अंगारों पर चल सकता है।
- व्यवसायिक खेती से संपन्नता वाले करजी ग्राम में होलिका दहन शुभ मुहूर्त में ही विधि विधान से किया जाता है। पहले बैगा होलिका की पूजा करते हैं और फिर होलिका जलाई जाती है।
- जब होलिका जलकर अंगार में बदल जाती है तो अंगारों को फैलाकर अलग किया जाता है और लोग इस पर नंगे पैर चलते हैं।
- अंबिकापुर शहर के नजदीक करजी गांव की यह परंपरा अब सोशल मीडिया के कारण चर्चित हो चुकी है।
- शहर से भी लोग धधकते अंगारों पर नंगे पैर चलने की परंपरा में शामिल होते हैं।
- गांव के बैगा अशोक राम की मानें तो पूर्वजों से यह परंपरा चली आ रही है।
- होलिका की आग की गर्मी जरूर महसूस होती है।
- लेकिन नंगे पैर अंगारों पर चलने वालों में कोई जलता नहीं है और न ही पैरों में छाले पड़ते हैं।
- गांव के वरिष्ठ नागरिक अशोक कुशवाहा ने बताया कि वे भी बचपन से आग पर चलते आ रहे हैं।