मित्र दल: ‌पुनर्वास केंद्र में तैयार हो रहे हाथी प्रबंधन के सिपाही, 500 को मिली ट्रेनिंग

Author name

March 21, 2025


अभी तक किसी विशेष परिस्थिति में ट्रैकर दूसरे राज्यों से बुलाने पड़ते थे। मगर, अब स्थानीय स्तर पर दक्ष लोग यह काम कर पा रहे हैं। अभी तक 500 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।

By Shashank Shekhar Bajpai

Publish Date: Mon, 17 Feb 2025 02:25:29 PM (IST)

Updated Date: Mon, 17 Feb 2025 02:26:37 PM (IST)

मित्र दल: ‌पुनर्वास केंद्र में तैयार हो रहे हाथी प्रबंधन के सिपाही, 500 को मिली ट्रेनिंग
मानव द्वंद्व को नियंत्रित करने में सहायक साबित होंगे प्रशिक्षित युवा, जंगल में दिया जा रहा है प्रशिक्षण।

HighLights

  1. रमकोला स्थित हाथी पुनर्वास केंद्र में दी जा रही है ट्रेनिंग।
  2. तत्काल प्रतिक्रिया दल, हाथी मित्र दल और ट्रैकर तैयार।
  3. दे रहे 7 दिन के सत्र में व्यवहारिक और सैद्धांतिक ट्रेनिंग।

नईदुनिया प्रतिनिधि, अंबिकापुर। छत्तीसगढ़ में हाथियों से जानमाल के नुकसान को कम करने के लिए सूरजपुर जिले के रमकोला स्थित हाथी पुनर्वास केंद्र में तत्काल प्रतिक्रिया दल, हाथी मित्र दल और ट्रैकर तैयार किए जा रहे हैं। इनमें राज्य के अलग-अलग जिलों के वन कर्मचारियों के साथ ही प्रभावित क्षेत्र के जागरूक लोग भी शामिल हो रहे हैं।

सात दिन के सत्र में व्यवहारिक और सैद्धांतिक दोनों ही तरह का प्रशिक्षण दिया जा रहा हैं। इनमें शारीरिक फिटनेस के साथ हाथियों के पदचिह्न, लीद और आकार से उनके व्यवहार का अध्ययन भी शामिल है। अभी तक किसी विशेष परिस्थिति में ट्रैकर दूसरे राज्यों से बुलाने पड़ते थे।

मगर, अब स्थानीय स्तर पर दक्ष लोग यह काम कर पा रहे हैं। अभी तक 500 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून के विशेषज्ञों के साथ कार्य कर चुके अंबिकापुर के प्रभात दुबे द्वारा वरिष्ठ वन अधिकारियों की देखरेख में प्रशिक्षण दिया जाता है।

यहां साल भर रहते हैं हाथी

हाथी पुनर्वास केंद्र में कर्नाटक से लाए गए पांच प्रशिक्षित कुमकी हाथियों के साथ कुल आठ हाथी हैं। यह केंद्र गुरुघासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व से लगा हुआ है, जहां वर्षभर 70 से 80 हाथियों की मौजूदगी रहती है। इस कारण यहां व्यवहारिक प्रशिक्षण देना ज्यादा असरकारी है।

अभयारण्य क्षेत्र में कब किधर हाथी हैं, इसका अनुमान नहीं रहता। उस परिस्थिति में कुमकी हाथियों के साथ जंगल में जाकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

naidunia_image

हाथी प्रबंधन के लिए चल रही हैं गतिविधियां

छत्तीसगढ़ में हाथियों के प्रबंधन को लेकर समय-समय पर विशेषज्ञों की सलाह के अनुरूप गतिविधियां संचालित होती रही हैं। हाथियों की कॉलरिंग के दौरान तमिलनाडु से ट्रैकरों को बुलाया जाता था। ये ट्रैकर जंगल के भीतर जाकर हाथियों की लोकेशन और उनके व्यवहार का अध्ययन कर विशेषज्ञ टीम को जानकारी देते थे। फिर ट्रेंक्यूलाइज कर कॉलर आईडी लगाया जाता था।

किसको किसका प्रशिक्षण

रैपिड रिस्पांस टीम : हाथियों के बस्ती के नजदीक आते ही गांववालों के साथ हाथियों की सुरक्षा का कार्य।

हाथी मित्र दल : हाथियों से बचाव को लेकर ग्रामीणों को जागरूक करने के साथ भीड़ और आपात स्थिति से निपटने का कार्य।

ट्रैकर : जंगल में जाकर हाथियों की निगरानी, उनकी संख्या, मूवमेंट का पता लगाने के साथ ही उनके व्यवहार का अध्ययन कर वन अधिकारी-कर्मचारी तथा प्रभावित क्षेत्र के लोगों को जानकारी देना।

यह भी पढ़ें- चुनाव परिणाम की अधिसूचना आज, 15 दिनों के भीतर करना होगा शपथ ग्रहण

हाथी के साथ इंसानों की सुरक्षा का प्रशिक्षण

हाथी विशेषज्ञ प्रभात दुबे का कहना है कि छत्तीसगढ़ के हाथी विचरण क्षेत्र के वनमंडलों के लोगों को प्रशिक्षण दिया जाता है। व्यवहारिक और सैद्धांतिक प्रशिक्षण में हाथियों के संबंध में विस्तार से जानकारी दी जाती है।

यह भी पढ़ें- धीमी प्रक्रिया… आवेदन 19 हजार, पर पांच हजार ने ही बदली हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट

यह प्रशिक्षण सिर्फ हाथियों से बचाव के लिए नहीं बल्कि उनके आहार, व्यवहार से लेकर उनकी पहचान तक का होता है। आपात स्थिति और भीड़ से निपटने के अलावा हाथी के साथ इंसानों की सुरक्षा को लेकर भी प्रशिक्षित किया जाता है।



Source link