अजीबो-गरीब मामला: जिससे खरीदा मकान, उसी को दे दिया किराए पर, फिर विवाद पहुंचा हाई कोर्ट

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April 15, 2025


मामला छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के डिवीजन बेंच में सुना गया। मकान मालिक और पूर्व विक्रेता-सह-किराएदार के बीच किराए को लेकर विवाद उच्च न्यायालय तक पहुंच गया। उच्च न्यायालय ने प्रक्रियात्मक कमियों के कारण न्यायाधिकरण के फैसले को पलटते हुए मामले पर नए सिरे से विचार करने के लिए वापस प्राधिकरण को भेज दिया था।

By Shashank Shekhar Bajpai

Publish Date: Tue, 15 Apr 2025 02:21:44 PM (IST)

Updated Date: Tue, 15 Apr 2025 02:21:44 PM (IST)

अजीबो-गरीब मामला: जिससे खरीदा मकान, उसी को दे दिया किराए पर, फिर विवाद पहुंचा हाई कोर्ट
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट की प्रतीकात्मक तस्वीर।

HighLights

  1. किराएदार नहीं चुका रहा था किराया, ट्रिब्यूनल ने बचाया।
  2. कोर्ट ने फिर प्राधिकरण को लौटाया यह दिलचस्प मामला।
  3. प्राधिकरण ने कहा किरायेदार खाली करे मकान, चुकाए किराया।

नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में एक दिलचस्प और कानूनी पेचीदगियों से भरा मामला सामने आया है। इसमें मकान मालिक ने जिस व्यक्ति से मकान खरीदा था, उसे ही उसी मकान में किराएदार बना दिया।

विवाद बढ़ने पर यह मामला किराया नियंत्रण प्राधिकरण से होते हुए न्यायाधिकरण और अंततः हाई कोर्ट तक पहुंच गया। मामला जांजगीर-चांपा जिले का है। याचिकाकर्ता कृष्ण कुमार कहार और शोभा कुमारी ने खसरा नंबर 1507/29 में स्थित मकान रामप्रसाद नामक व्यक्ति से खरीदा था।

इसके बाद उन्होंने वही मकान दशोदा बाई धीवर और रामप्रसाद को 4,000 रुपए मासिक किराए पर दे दिया। आरोप है कि दशोदा बाई ने शुरुआत से ही किराया नहीं चुकाया और मकान खाली करने से भी इंकार कर दिया। इस पर याचिकाकर्ताओं ने छत्तीसगढ़ किराया नियंत्रण अधिनियम, 2011 के तहत एसडीएम चांपा (किराया नियंत्रण प्राधिकरण) के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया।

सुनवाई के बाद प्राधिकरण ने 12 दिसंबर 2022 को आदेश जारी करते हुए दशोदा बाई को मकान खाली करने और 28,000 रुपए बकाया किराया चुकाने का निर्देश दिया।

विशेष रूप से गवाहों के हलफनामों की विधिवत प्रविष्टि नहीं थी। मुद्दों का निर्धारण नहीं किया गया था और पक्षों को साक्ष्य प्रस्तुत करने का समुचित अवसर नहीं मिला।

हाई कोर्ट में हुई सुनवाई

मकान मालिकों ने ट्रिब्यूनल के निर्णय को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर की। जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने सुनवाई के बाद मामले को फिर से किराया नियंत्रण प्राधिकरण के पास भेजते हुए निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता नया आवेदन प्रस्तुत करें और प्राधिकरण अधिनियम के अनुसार कानून और तथ्यों के आधार पर फिर से निर्णय लें।

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कोर्ट की महत्वपूर्ण टिप्पणियां

  • किसी पक्ष को केवल प्रक्रियागत चूक, त्रुटि या लापरवाही के आधार पर न्यायसंगत राहत से वंचित नहीं किया जा सकता।
  • कोर्ट ने कहा कि प्रक्रिया का उपयोग कभी भी अन्याय को बनाए रखने या दमनकारी रूप में नहीं होना चाहिए।
  • कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्होंने मामले के गुण-दोष पर कोई राय नहीं दी है और प्राधिकरण स्वतंत्र रूप से निर्णय लें।



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