ग्रामीण क्षेत्र में महिला स्व सहायता समूह से जुडी महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए शासन द्वारा कई योजनाएं क्रियांवित की जा रही हैं। इन योजनाओं में से एक है कौशल विकास कार्यक्रम के माध्यम से स्वसहायता समूह की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना।
By Shashank Shekhar Bajpai
Publish Date: Wed, 26 Mar 2025 03:42:42 PM (IST)
Updated Date: Wed, 26 Mar 2025 03:42:42 PM (IST)

HighLights
- घर से बाजार का सफर तय करने में संस्थाएं बनीं सहायक।
- परिवार की आर्थिक सम्पन्नता की महिलाएं बन रहीं धुरी।
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। राष्ट्रीय अजीविका मिशन के तहत बिहान और ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण संस्थान में कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त कर महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं। वे सिलाई-कढ़ाई, ज्वेलरी निर्माण, पारंपरिक और चाइनीज व्यंजन बनाने के साथ ही मुर्गी और पशुपालन का प्रशिक्षण प्राप्त कर आर्थिक रूप से सशक्त हो रही हैं।
एनआरएलएम के माध्मय से महिलाओं को स्वसहायता समूह से जोड़कर स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। उसके बाद इन महिलाओं को ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण संस्थान के माध्यम से किसी न किसी कोर्स के माध्यम से प्रशिक्षण दिया जाता है।
महिलाओं का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद भारतीय स्टेट बैंक से इन महिलाओं को दो लाख तक का लोन संस्थान से दिलाया जाता है। इससे वह प्राप्त प्रशिक्षण के जरिये अपना स्वयं का रोजगार स्थापित कर सकें। तीन साल में स्वसहायता समूह की लगभग दो हजार से अधिक महिलाओं ने प्रशिक्षण प्राप्त कर अपने छोटे व्यापार शुरू कर चुकी हैं।
कई महिलाओं का अब अपना बुटीक है, तो कुछ ने जनरल स्टोर, ज्वेलरी सेंटर और फूड स्टॉल शुरू कर लिया है। कुछ महिलाएं डेयरी और मुर्गीपालन से भी अच्छा मुनाफा कमा रही हैं।
ज्वेलरी बनाने का प्रशिक्षण प्राप्त कर लखपति दीदी बनी अंजली बंजारे।
क्या कहना है महिलाओं का
सिंघरी की रहने वाली सुलोचना खांडे का कहना है उनके पति किसान हैं और परिवार के भरण-पोषण के लिए काफी परेशानी होती थी। स्वसहायता समूह के माध्यम से ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण संस्थान सेंदरी कोनी में टेलरिंग का प्रशिक्षण प्राप्त कर अपनी स्वयं की दुकान घर में चलाती हूं, अब महीने के 25 से 30 हजार हर महीने कमाकर लखपति दीदी बना चुकी है।
मुढीपार की रहने वाली अंजली बंजारे ने बताया कि वह एक गरीब किसान परिवार से आती हैं। घर में आय का साधन खेती-किसानी और मजदूरी ही था। आर्थिक तंगी से जूझ रही थी। इस दौरान स्व-सहायता समूह की दीदिओं से मुलाकात हुई और बिहान के तहत ग्रामीण रोजगार प्रशिक्षण संस्थान सेंदरी से प्रशिक्षण प्राप्त कर ज्वेलरी बनाने की दुकान खोली। आज घर बैठे ही 25 से 30 हजार कमा रही हूं।
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आर्थिक सशक्तीकरण ने दिलाई लखपति दीदी की पहचान
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत जुडी स्वसहायता समूह की महिलाओं का कहना है कि बिहान न सिर्फ महिलाओं को स्वावलंबी बनाया है, बल्कि समाज में उन्हें लखपति दीदी के रूप में नई पहचान भी दिलाई है।
महिलाएं अब छोटी-छोटी जरूरतों के लिए अपने परिवार पर निर्भर नहीं हैं। ये महिलाएं अब खुद कमाकर परिवार को आर्थिक सहयोग दे रही हैं।
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महिलाओं ने परिश्रम के बल पर बदली जिंदगी
महिलाओं का कहना है कि पहले वे घरेलू कार्यों तक सीमित रहती थीं। समूह से जब वे जुडीं तो शासन की योजना का पता चला। उनमें प्रशिक्षण प्राप्त कर वे खुद का छोटा कारोबार संचालित कर सकती थीं। महिलाओं ने प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण प्राप्त कर लोन लेकर अपना काम शुरू किया।