छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ठगी का एक नया तरीका सामने आया है। ठग बिना ऑर्डर के कैश ऑन डिलिवरी वाला पार्सल भेज कर ठगी को अंजाम दे रहे हैं। पार्सल के भीतर से कुछ अनावश्यक और खराब सामान प्राप्त हो रहा है। जो कि उपयोग के योग्य नहीं है।
By Roman Tiwari
Edited By: Roman Tiwari
Publish Date: Thu, 12 Jun 2025 01:40:47 PM (IST)
Updated Date: Thu, 12 Jun 2025 02:19:04 PM (IST)

HighLights
- कैश ऑन डिलिवरी पार्सल भेज कर ठगी
- डिलीवरी प्रक्रिया में कोई न कोई मिलीभगत
- कैश ऑन डिलिवरी पार्सल लेते समय सावधान
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर: साइबर ठगी के नए-नए तरीके रोज सामने आ रहे हैं और अब जालसाज बिना किसी आर्डर के घरों में पार्सल भेजकर लोगों से पैसे वसूलने का नया पैंतरा अपना रहे हैं। बिलासपुर के तोरवा क्षेत्र में हाल ही में दो ऐसे मामले सामने आए हैं जहां लोगों के नाम से फर्जी पार्सल भेजे गए और उनके बदले नकद भुगतान ले लिया गया।
बता दें कि ताजा मामला गणेश हाइट्स तोरवा निवासी गुरजीत के घर में सामने आया। एक दिन ई-कार्ट कंपनी से एक डिलीवरी बाय ने 498 रुपये का पार्सल थमाया। उस समय घर पर केवल गृहिणी थीं। उन्हें लगा कि बच्चों ने आनलाइन कोई सामान मंगाया होगा, इसलिए पैसे देकर पार्सल रिसीव कर लिया। शाम को जब परिवार एकत्र हुआ तो पता चला कि किसी ने कोई आर्डर ही नहीं किया। पार्सल खोलने पर उसमें दो हर्बल शैंपू निकले, जो बेहद घटिया गुणवत्ता के थे।
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ऐसा ही एक और मामला पास के ही एक रेलकर्मी सुधीर यादव के घर में हुआ। ड्यूटी पर होने के कारण उन्होंने भी यही समझा कि परिवार के किसी सदस्य ने कोई सामान मंगाया होगा। घर वालों ने पार्सल ले लिया और करीब 900 रुपये अदा कर दिए। बाद में पूछताछ पर पता चला कि किसी ने भी ऐसा कोई आर्डर नहीं दिया था। इस पार्सल में बालों के लिए हर्बल तेल निकला, जो नकली था। इन मामलों में लोगों ने चूंकि राशि 1000 रुपये से कम थी, इसलिए साइबर क्राइम या थाने में शिकायत नहीं की।
ऐसे रखें सावधानी, बचे फर्जी पार्सल फ्रॉड से
- अनजान पार्सल को रिसीव न करें- अगर आर्डर की जानकारी नहीं है तो पार्सल लेने से इंकार करें।
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मगर विशेषज्ञों का मानना है कि इसी चूक का फायदा उठाकर एक पूरा गिरोह सक्रिय हो सकता है। जांच में सामने आया है कि पार्सलों पर दो लेबल लगे थे, जो यह संकेत देता है कि डिलीवरी प्रक्रिया में कोई न कोई मिलीभगत जरूर है। ई-कार्ट कंपनी के अधिकारी भी इस पर स्पष्ट जानकारी नहीं दे पा रहे हैं। इससे आशंका और गहरा गई है कि कहीं पार्सल कंपनियों और डिलीवरी बाय के बीच मिलीभगत से यह काम तो नहीं हो रहा।