Land mafia Bilaspur: शहर के आसपास मोपका, चिल्हाटी, सिरगिट्टी, तोरवा, सकरी, मंगला, बैमा-नगोई, कोनी, रतनपुर रोड और उसलापुर जैसे क्षेत्रों में खुलेआम खेतों की बाड़ तोड़कर बिना किसी ले-आउट स्वीकृति के प्लॉट काटे जा रहे हैं।
By Shashank Shekhar Bajpai
Publish Date: Thu, 10 Apr 2025 04:12:03 PM (IST)
Updated Date: Thu, 10 Apr 2025 04:20:05 PM (IST)

HighLights
- मोपका क्षेत्र स्थित तालाब को घेरकर अवैध प्लॉटिंग की गई है, लोगों को निस्तारी की समस्या हो रही हैl
- जमीन दलाल लोगों को सरकारी अनुमति बताकर लोगों को गुमराह करके बेच देते हैं जमीन।
- रजिस्ट्री होने के बाद लोग मकान बनाने के लिए अनुमति के लिए सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटते हैं।
सरफराज मेमन, बिलासपुर। Illegal plotting in Bilaspur: शहर से लगे गांव में जमीन दलालों द्वारा अवैध प्लॉटिंग करने का सिलसिला जारी है। सस्ते दाम और भविष्य में तेजी का लालच देकर दलाल खेती की जमीन को टुकड़ों में बेच रहे हैं। राजस्व विभाग के मैदानी अमले की मिलीभगत से यह कारोबार बेखौफ चल रहा है।
कई बार जमीन दलाल लोगों को सरकारी अनुमति बताकर लोगों को गुमराह करते हैं। जमीन की रजिस्ट्री होने के बाद लोग अपना मकान बनाने के लिए सरकारी अनुमति के लिए दफ्तरों के चक्कर काटते हैं। अगर किसी ने बिना अनुमति मकान बना लिया तो मोटा जुर्माना वसूल किया जाता है।
शहर के आसपास मोपका, चिल्हाटी, सिरगिट्टी, तोरवा, सकरी, मंगला, बैमा-नगोई, कोनी, रतनपुर रोड और उसलापुर जैसे क्षेत्रों में देखी जा रही है। यहां खुलेआम खेतों की बाड़ तोड़कर बिना किसी ले-आउट स्वीकृति के प्लॉट काटे जा रहे हैं।
कॉलोनी के नाम पर नक्शे दिखाकर ग्राहकों को बेचा जा रहा है। कई मामलों में दलालों ने बाकायदा प्लॉट नंबरिंग कर सड़क व नाली का झांसा देकर लोगों से लाखों रुपये वसूल लिए हैं। नियमों की जानकारी नहीं होने के कारण लोग इन दलालों के चक्कर में आकर अपनी जमा पूंजी इन्हें सौंपकर जमीन की रजिस्ट्री करा लेते हैं।
समस्या अब गांवों तक सीमित नहीं रही: राहुल
तेलीपारा के रहने वाले राहुल गुप्ता कहते हैं कि अवैध प्लॉटिंग की समस्या अब गांवों तक सीमित नहीं रही, बल्कि शहर से सटे हर क्षेत्र में फैल चुकी है। लोगों को सस्ते दामों में जमीन देने का सपना दिखाकर दलाल उन्हें एक बड़े जाल में फंसा रहे हैं।
सबसे बड़ी विडंबना यह है कि इन धोखाधड़ी में सरकारी तंत्र की निष्क्रियता भी बराबर की भागीदार है। पटवारी बिना किसी सत्यापन के रजिस्ट्री के लिए दस्तावेज जारी कर रहे हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि क्या यह सब मिलीभगत के बिना संभव है।
तालाब को घेरा, पानी को तरसते लोग
मोपका क्षेत्र के विवेकानंद कॉलोनी में एक जमीन कारोबारी ने बड़े पैमाने पर अवैध प्लॉटिंग की है। इसकी शिकायत निगम तक पहुंच चुकी है। इसके बावजूद प्लॉटिंग जारी है। राजस्व विभाग की मिलीभगत से यह कारोबार चल रहा है।
इधर, निगम की ओर से भी अब तक इस पर कार्रवाई नहीं हो सकी है। न ही अवैध प्लॉटिंग वाली जमीन की रजिस्ट्री और नामांतरण पर रोक लग सकी है। राजस्व विभाग और निगम के अधिकारी उसके रसूख के आगे बौने साबित हो रहे हैं। आरोप है कि इस जमीन कारोबारी ने एक तालाब को भी पूरी तरह से घेर रखा है। तालाब का पानी मवेशियों तक को नहीं मिल पा रहा है।
अवैध प्लॉटिंग की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाती है। निगम क्षेत्र में अवैध प्लॉटिंग के 300 शिकायतें मिली है। विभाग की ओर से इस पर कार्रवाई की गई है। नए नियमों में इस तरह के काम करने वालों पर कड़ी कार्रवाई का प्रविधान है। -सुरेश शर्मा, भवन शाखा, नगर निगम
इनकी है जिम्मेदारी
अवैध प्लॉटिंग पर निगरानी और कार्रवाई की जिम्मेदारी शहरी क्षेत्र में नगरीय निकाय की है। ग्रामीण क्षेत्र में राजस्व विभाग की ओर से कार्रवाई जाती है। शहरी क्षेत्र में नगरीय निकाय के अधिकारी इस मामले में राजस्व विभाग पर निर्भर है।
जमीन के बिक जाने के बाद जब मकान बनना शुरू होता है, तब नगरीय निकाय के अधिकारियों को इसकी जानकारी होती है। राजस्व विभाग की ओर से इस पर कड़ी निगरानी और कार्रवाई की जाए, तो अवैध प्लॉटिंग पर रोक लग सकती है।
जमीन दलालों और पटवारी की सांठगांठ
इस पूरे मामले में राजस्व विभाग का रवैया भी सवालों के घेरे में है। जमीनों के खरीदी बिक्री के दौरान पटवारी, आरआई, तहसीलदार की भूमिका अहम होती है। इसके बावजूद अवैध प्लॉटिंग बिना रोकटोक चल रही है। कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां विभाग ने केवल खानापूर्ति के लिए नोटिस जारी किए और कार्रवाई के नाम पर फाइलें बंद कर दी गईं।
पटवारियों पर हो कार्रवाई
अवैध प्लॉटिंग को शह देने में पटवारियों की भूमिका स्पष्ट है। इसके बाद भी विभाग की ओर से पटवारियों को अभयदान दिया गया है। पटवारी छोटे टुकड़ों में नामांतरण कर रहे हैं। इसकी जानकारी नगर निगम को नहीं देते। नगरीय निकाय के बाहर ग्रामीण क्षेत्र में भी पटवारी भी इसकी जानकारी पटवारी विभाग के अधिकारियों को नहीं देते हैं। इसके कारण राजस्व विभाग के अधिकारी कार्रवाई नहीं कर पाती।