सस्ती जीवन रक्षक दवाएं नहीं लिख रहे सिम्स और जिला अस्पताल के डॉक्टर, मरीज परेशान

Author name

April 7, 2025


शासन स्तर पर चिकित्सकों को निर्देशित किया है कि वे जेनरिक दवा ही लिखें। सख्ती भरे निर्देश को देख शुरुआत में तो चिकित्सक जेनरिक दवा लिख रहे थे। मगर, समय के साथ कमीशन के चक्कर में फिर ब्रांडेड दवा लिख रहे हैं।

By Shashank Shekhar Bajpai

Publish Date: Mon, 07 Apr 2025 06:06:02 PM (IST)

Updated Date: Mon, 07 Apr 2025 06:06:02 PM (IST)

सस्ती जीवन रक्षक दवाएं नहीं लिख रहे सिम्स और जिला अस्पताल के डॉक्टर, मरीज परेशान
जरूरत पड़ने पर ही ब्रांडेड दवाएं मरीजों को लिखने के निर्देश दिए गए थे।

HighLights

  1. सिम्स और जिला अस्पताल में धनवंतरी मेडिकल स्टोर चलाया जा रहा है।
  2. साथ ही पीएम मोदी जनऔषधि केंद भी है, फिर भी लिख रहे ब्रांडेड दवाएं।
  3. कमीशन के फेर में मरीजों के परिजनों को खरीदनी पड़ रही हैं महंगी दवा।

नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। तमाम कोशिशों के बाद एक बार फिर सिम्स और जिला अस्पताल के डॉक्टर्स अपने पुराने रवैए पर आ गए हैं। वो जेनरिक दवाओं की जगह ब्रांडेड दवाएं लिखने लगे हैं। ऐसे में रियायती दर पर जेनरिक दवा उपलब्ध होने के बाद भी यह लोगों की पहुंच से दूर है।

सिम्स और जिला अस्पताल में धनवंतरी मेडिकल स्टोर चलाया जा रहा है। साथ ही पीएम मोदी का जन औषधि केंद भी संचालित है। यहां पर सस्ती जीवन रक्षक दवाएं उपलब्ध हैं। मगर, इसके बाद भी डॉक्टर जेनरिक दवाएं मरीजों को नहीं लिख रहे हैं।

दवा लिखते समय फिर से जेनरिक के बजाए ब्रांडेड दवा मरीज के पर्ची में लिखा जाने लगा है। शासन स्तर पर चिकित्सकों को निर्देशित किया है कि वे जेनरिक दवा ही लिखें। जरूरत पड़ने पर ही ब्राडेंड दवा मरीजों को दें।

सख्ती भरे निर्देश को देख शुरुआत में तो चिकित्सक जेनरिक दवा लिख रहे थे। मगर, समय के साथ कमीशन के चक्कर में फिर ब्रांडेड दवा लिख रहे हैं। खासकर सिम्स व जिला अस्पताल में मनमानी जारी है।

150 से ज्यादा प्रकार की हैं दवाएं

इन दुकानों में दवा सप्लाई करने की जिम्मेदारी सीजीएमएससी को दी गई है। इनमें 150 प्रकार की सामान्य व जीवन रक्षक दवाओं की सप्लाई की जा रही है। इसमें सर्जिकल सामान भी उपलब्ध हैं। जेनरिक दवाओं की बड़ा रेंज उपलब्ध होने के बाद भी यह अभी भी मरीजों की पहुंच से दूर है।

यह भी पढ़ें- सावधान… साइबर ठग भेज रहे फोटो, ओपन करते ही फोन होगा हैक और खाता खाली

इसलिए करते हैं मनमानी

सिम्स और जिला अस्पताल में विभिन्न दवा कंपनियों के एमआर आते हैं, जो अपनी कंपनी की दवाओं की ब्रिकी बढ़ाने डॉक्टर्स को सुविधा व पैकेज उपलब्ध कराते हैं। ऐसे में ज्यादातर डॉक्टर अतिरिक्त कमाई के चक्कर में जेनरिक के बजाय ब्रांडेड दवा देने का काम कर रहे हैं। सिम्स प्रबंधन इन डॉक्टर्स पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रहा है।



Source link