छत्तीसगढ़ के मरवाही में भालू की मौत का मामला सामने आने के बाद वन विभाग में हड़कंप की स्थिति है। बड़े स्तर पर कार्यवाही की गई है। एसडीओ मोहर सिंह, रेंजर और डिप्टी रेंजर को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया है। यह घटना वन्य प्राणी की मौत से जुड़ी है और इस मामले में पहली बार फारेस्ट गार्ड से लेकर एसडीओ स्तर तक के अधिकारी जद में आए हैं।
By Arvind Dubey
Publish Date: Fri, 28 Feb 2025 10:33:52 AM (IST)
Updated Date: Fri, 28 Feb 2025 10:33:52 AM (IST)

HighLights
- उषाड़ बीट की घटना, सुरक्षा पर उठे सवाल
- गुरुवार को मिली सूचना, तो पहुंचा वन अमला
- दो महीने पहले भी हुई थी मादा भालू की मौत
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर: मरवाही वन मंडल एक भालू की आठ दिन पुरानी क्षत-विक्षत लाश मिली है। भालू के गुप्तांग से लेकर कई अंग गायब हैं। शव की स्थिति देखकर यह स्पष्ट भी हो गया कि यह शिकारियों की करतूत है।
विडंबना यह है कि जंगल के रखवालों को इस घटना की भनक तक नहीं लगी। इस घटना से न केवल जंगल की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो गया है, बल्कि यह भी पता चलता है कि अफसर से लेकर मैदानी अमला फील्ड में मौजूद नहीं रहता।
मची अफरा-तरफी, कर्मचारी-अधिकारी पहुंचे जंगल
- घटना कब की है, यह तो कह पाना मुश्किल है। माना जा रहा है कि लाश 8 दिन पुरानी। इसकी सूचना गुरुवार को मिली तो वन विभाग में हड़कंप मच गया और आनन-फानन में अफसर से लेकर वनकर्मी घटनास्थल पर पहुंचे।
- भालू का शव मनेंद्रगढ़ वनमंडल और मरवाही वनमंडल की सीमा पर पड़ा था और क्षत- विक्षत स्थिति में था। यह देखकर विभाग के अफसरों के होश उड़ गए। इसके बाद जब जांच की गई तो चौंकाने वाली बात सामने आई।
- भालू के शव से लगभग सभी महत्वपूर्ण अंग गायब थे। इससे स्पष्ट हो गया कि यह शिकारियों की करतूत है। इस दौरान सबसे पहले शव का पोस्टमार्टम कराया गया। इसके बाद अंतिम संस्कार किया गया।
वन विभाग की लापरवाही उजागर
भालू की मौत के बाद विभाग औपचारिकताएं पूरी करने में जुटा है। असल में मरवाही वन मंडल पूरी तरह असुरक्षित है। यहां न तो नियमित गश्त होती है और न अधिकारियों का कर्मचारियों कमान है। यदि तगड़ी सुरक्षा रहती तो शिकारी जंगल के भीतर घुसने की हिमाकत नहीं कर पाते। विभाग मौत की पुष्टि तो कर रहा है लेकिन शिकार हुआ या नहीं, इसकी पुष्टि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद स्पष्ट होगी।
दो महीने पहले भी हुई थी मादा भालू की मौत
मरवाही वनमंडल में भालू की मौत का यह पहला मामला नहीं है। दो महीने पहले गंगनई नेचर कैंप सालेकोटा के जंगल में एक मादा भालू शिकारी के जाल में फंस गई थी। स्थानीय युवक भालू को जब तक जाल से निकाल पाते, तब तक उसकी दम घुटने से मौत हो गई।
मौके मादा भालू के आठ महीने के नर शावक सुरक्षित मिला। इस घटना के बाद भी विभाग सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया और लगातार लापरवाही बरतते रहे। इसी का नतीजा है कि एक और घटना हो गई।
जंगल सफारी का डॉग स्क्वायड करेगा जांच
घटना के बाद मरवाही वन मंडल ने मामले की जांच कराने का निर्णय लिया है। इसके लिए रायपुर के जंगल सफारी के डाग स्क्वायड की मदद ली जा रही है। डाग शुक्रवार को मरवाही पहुंचेंगे। विभाग को पूरी उम्मीद है कि इस जांच में कुछ न कुछ सुराग मिलेगा।
फारेस्ट गार्ड सस्पेंड, एसडीओ और रेंजर को नोटिस
भालू की मौत की घटना के बाद वन विभाग में लापरवाही के आरोपों को लेकर कार्रवाई की गई है। इस घटना की सूचना मिलते ही सीसीएफ प्रभात मिश्रा ने उषाड़ बीट गार्ड राकेश पंकज को सस्पेंड कर दिया। राकेश पंकज पर कार्य में लगातार लापरवाही बरतने का आरोप है और यह भी सामने आया कि वह बीट में अपनी नियमित मौजूदगी सुनिश्चित नहीं कर रहे थे।
मरवाही में भालू की मौत हुई है। कहीं न कहीं सुरक्षा में चूक भी हुई है। इसे देखते हुए ही फॉरेस्ट गार्ड के खिलाफ निलंबन की कार्रवाई की गई है। एसडीओ, रेंजर व डिप्टी रेंजर को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन पर कार्रवाई की जाएगी। – प्रभात मिश्रा, सीसीएफ, बिलासपुर वनवृत्त
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घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर जाकर शव की शिनाख्त की गई है। शव लगभग आठ से 10 दिन पुराना लग रहा है। भालू का शव क्षत-विक्षत अवस्था में मिला है। कई अंग नही है, शिकार की आंशका से इनकार भी नही किया जा सकता। – मोहर सिंह मरकाम, एसडीओ, मरवाही वन मंडल