Bijapur Congress Worker Murder: Deepak Baij Questions Police Theory, Seeks Probe | बीजापुर मर्डर केस में कांग्रेस को नक्सल थ्योरी पर शक: कार्यकर्ता की हत्या पर बैज बोले- नक्सली वारदात नहीं लगती, मामला संदिग्ध; सरकार जांच करे – Raipur News

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May 16, 2025


बीजापुर में कांग्रेस कार्यकर्ता की हत्या के 4 दिन बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने इसे नक्सली वारदात मानने से इनकार किया है। उनका कहना है कि यह हत्या संदिग्ध है और इसमें आपसी रंजिश या अन्य कारण भी हो सकते हैं। उन्होंने शासन और प्रशासन से गंभीर

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मामला उसूर थाना क्षेत्र का है। जिले के लिंगापुर गांव में रविवार रात कुल्हाड़ी से कांग्रेस कार्यकर्ता नागा भंडारी की हत्या हुई थी। नागा मारुडबाका गांव में उचित मूल्य की दुकान (PDS) चलाते थे और कांग्रेस संगठन से भी जुड़े थे।

वारदात उस समय हुई जब वह एक सामाजिक कार्यक्रम में शामिल होने लिंगापुर गए थे। देर रात करीब साढ़े 11 बजे कुछ अज्ञात लोग वहां पहुंचे और नागा पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। मौके पर ही उनकी मौत हो गई।

नागा भंडारी की कुल्हाड़ी से मारकार हत्या की गई थी।

नागा भंडारी की कुल्हाड़ी से मारकार हत्या की गई थी।

दीपक बैज का बयान: ‘हमें इस हत्याकांड पर पूरी तरह से शंका है’

घटना को लेकर पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज का कहना है कि बीजापुर में कुछ और ग्रामीणों की हत्या हुई और हमारे कांग्रेस कार्यकर्ता की भी हत्या हुई है। अभी तक हत्या किसने की, यह क्लियर नहीं हुआ है। इस हत्याकांड पर हमें संदेह है।

नक्सली हत्या नहीं हो सकता, कहीं ना कहीं आपसी रंजिश या और कोई कारण हो सकता है। हमें हत्या पर संदेह है, शासन और प्रशासन को गंभीरता से जांच करना चाहिए। इस हत्याकांड पर हमें पूरी तरह से शंका है।”

दीपक बैज का यह बयान इसलिए भी अहम है क्योंकि अब तक इस हत्या को माओवादी वारदात माना जा रहा था। कई रिपोर्ट्स में कहा गया कि अज्ञात नक्सली गांव में घुसे और नागा को मार डाला। लेकिन अब कांग्रेस पार्टी खुद इस थ्योरी पर सवाल उठा रही है।

पहले कांग्रेस ने इसे नक्सली वारदात ही माना था।

पहले कांग्रेस ने इसे नक्सली वारदात ही माना था।

कौन थे नागा भंडारी? पहले भाई की भी हुई थी हत्या

नागा भंडारी मारुडबाका गांव में उचित मूल्य की दुकान चलाते थे और स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय थे। ग्रामीणों के मुताबिक, वे सामाजिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेते रहते थे। जिस रात उनकी हत्या हुई, वे ग्राम लिंगापुर में एक शादी कार्यक्रम में शामिल होने गए थे।

जानकारी के मुताबिक, करीब 6 महीने पहले नक्सलियों ने नागा के छोटे भाई तिरुपति भंडारी की भी हत्या की थी। कांग्रेस उसूर ब्लॉक के महामंत्री और पूर्व उपसरपंच थे।

उस समय भी यह कहा गया था कि पारिवारिक रंजिश और संगठनात्मक भूमिकाओं को लेकर टारगेट किया गया। अब नागा की हत्या ने यह सवाल फिर खड़ा कर दिया है कि क्या यह दोहरी हत्या किसी पुराने विवाद की कड़ी है?

पुलिस की जांच जारी, अब तक नहीं हुई गिरफ्तारी

घटना की जानकारी मिलने पर उसूर थाना पुलिस मौके पर पहुंची थी। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया और पंचनामा कार्रवाई की गई। हालांकि अब तक किसी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस का भी यही कहना है कि हत्या किसने की, यह साफ नहीं हो पाया है और सभी पहलुओं से जांच जारी है।

बीजापुर जैसे अति-संवेदनशील नक्सल प्रभावित जिले में इस तरह की हत्याएं अक्सर माओवादी वारदात मान ली जाती हैं, लेकिन अब कांग्रेस ने इस घटना में नया मोड़ ला दिया है।

इससे पहले नागा के भाई तिरुपति भंडारी की भी हत्या हुई थी और इसे भी नक्सल वारदात ही बताया गया था।

इससे पहले नागा के भाई तिरुपति भंडारी की भी हत्या हुई थी और इसे भी नक्सल वारदात ही बताया गया था।

कांग्रेस ने इसलिए जताया संदेह?

  • घटना देर रात गांव के अंदर हुई, जहां किसी को आना-जाना आसानी से नोटिस किया जा सकता है।
  • नागा भंडारी PDS दुकान के संचालक थे, जिससे स्थानीय विवाद या प्रतिस्पर्धा की भी आशंका हो सकती है।
  • पहले से परिवार को टारगेट किया गया था, ऐसे में यह भी जांच का विषय हो सकता है कि दोनों हत्याएं किसी खास उद्देश्य से की गईं।
  • दीपक बैज का यह कहना कि “हमें पूरी तरह से शंका है”, दर्शाता है कि पार्टी स्तर पर भी इसे राजनीतिक साजिश की आशंका के तौर पर देखा जा रहा है।

क्या कहता है प्रशासन?

स्थानीय प्रशासन की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। जानकारी के मुताबिक, पुलिस फिलहाल गांव के लोगों से पूछताछ कर रही है और पुराने विवादों की भी छानबीन की जा रही है।

पिछली सरकार में कई बीजेपी नेताओं की हुई थी हत्या

इस घटना के साथ ही बस्तर संभाग में ग्रामीण और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की टारगेटेड किलिंग का दौर फिर से सामने आ रहा है। पिछली सरकार में विधानसभा चुनाव से पहले करीब 9 बीजेपी नेताओं और कार्यकर्ताओं की बस्तर में हत्या हुई थी।

पिछले 2 सालों में बीजापुर, नारायणपुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जिलों में ऐसी कई घटनाएं सामने आ चुकी हैं, जिनमें नक्सली शक के घेरे में हैं, लेकिन कई मामलों में आपसी रंजिश या प्रॉपर्टी विवाद भी सामने आए हैं।



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