बिलासपुर जिले में जिला पंचायत की बैठक
बिलासपुर जिले में जल संकट की स्थिति को देखते हुए पीएचई विभाग ने 100 हैंडपंप की स्वीकृति दी है। जिला पंचायत की बैठक में यह जानकारी सामने आई। इनमें से 75 हैंडपंप जिले के पांच विधायकों के लिए और शेष जिला पंचायत के जनप्रतिनिधियों के लिए प्रस्तावित हैं।
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जिले को कलेक्टर ने जलाभाव क्षेत्र घोषित कर रखा है। यहां ट्यूबवेल खनन पर पाबंदी है। जल स्तर गिरने के कारण ट्यूबवेल की अनुमति केवल जिला प्रशासन से ही ली जा सकती है। जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश सूर्यवंशी ने बताया कि हैंडपंप की संख्या बढ़ाने के लिए पीएचई के उच्चाधिकारी को पत्र लिखा जाएगा।
बैठक में एक विवाद भी उठा। केंद्रीय राज्य मंत्री और बिलासपुर के सांसद तोखन साहू की ओर से दो प्रतिनिधि पहुंचे। शिव साहू और मोहनीश कौशिक के पहुंचने पर विपक्षी सदस्यों ने आपत्ति जताई। जिला पंचायत अध्यक्ष ने स्थिति संभालते हुए केवल अधिकृत पत्र वाले प्रतिनिधि को बैठने की अनुमति दी। सांसद के पीए नीतेश साहू ने एक अतिरिक्त प्रतिनिधि भेज दिया था, जिसे बाद में कर्मियों के बैठने वाली जगह पर भेज दिया गया।
जिला पंचायत के सीईओ संदीप अग्रवाल ने विधायकों के लिए 75% हैंडपंप कोटे की बात से इनकार किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि हैंडपंप वहीं लगेंगे जहां मांग होगी। सदस्यों की मांग को उचित मानते हुए हैंडपंप की संख्या बढ़ाने के लिए पीएचई को पत्र भेजा जाएगा।

सांसद के दो-दो प्रतिनिधियों के बैठक में पहुंचने के मामले में उन्होंने कहा कि बैठक में एक ही व्यक्ति को अधिकृत किया गया, क्योंकि प्रश्न पूछने का अधिकार एक को ही है।
एक चुनाव के लिए बहुमत से प्रस्ताव पारित
बैठक में ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के अंतर्गत भारत में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ आयोजित करने के लिए बहुमत से प्रस्ताव पारित कर शासन को भेजने का निर्णय लिया गया। लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की समीक्षा में सभी सदस्यों के द्वारा वर्तमान में चल रहे जल संकट को देखते हुए अपने अपने क्षेत्र में हैंड पंप खोदने एवं बंद पंप के तत्काल मरम्मत की मांग की गई। वहीं विद्युत व्यवस्था में सुधार के लिए नए ट्रांसफार्मर लगाने और बंद के साथ खराब ट्रांसफार्मर के रिपेयरिंग के निर्देश दिए गए ।
डाक्टरों की कमी का मुद्दा उठा
बैठक में डाक्टरों की कमी का मुद्दा जोर शोर से उठाया गया। जिपं सदस्य राजेंद्र धीवर ने शिकायत की कि डाक्टरों की कमी के चलते मस्तूरी के बीएमओ को सीपत का भी अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, जिससे मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ता है। उन्होंने जोहली के कारीछापर में जिंदल कंपनी द्वारा बिना फॉरेस्ट क्लीयरेंस के प्लांट लगाने के लिए सर्वे करने पर आपत्ति जताई।
उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत अनुदान की राशि पात्र हितग्राही की बजाय दीगर लोगों के खाते में भेजने के गड़बड़झाले की ओर ध्यान आकृष्ट किया, जिस पर जिपं सीईओ ने जांच कराने का आश्वासन दिया।