CJ said It is not the collector’s job to use a shovel in the river | CJ बोले-कलेक्टर का काम नदी में फावड़ा चलाना नहीं: अरपा की बदहाली पर जताई नाराजगी, कहा- सफाई कर रहे या फोटो खिंचाने दिखावा कर रहे – Chhattisgarh News

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March 25, 2025


जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान अरपा की बदहाली पर जताई गहरी चिंता।

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अरपा नदी के संरक्षण और संवर्धन के साथ ही अवैध उत्खनन रोकने की मांग को लेकर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रवींद्र कुमार अग्रवाल की बेंच ने नदी की बदहाली पर कड़ी नाराजगी जताई।

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चीफ जस्टिस ने अवैध उत्खनन और परिवहन रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर असंतोष जाहिर किया। साथ ही कहा कि फावड़ा लेकर कलेक्टर नदी की सफाई कर रहे हैं। यह केवल दिखावा है। उन्होंने कहा कि DM का काम नदी में फावड़ा चलाना नहीं, बल्कि प्रभावी नीति बनाकर अवैध उत्खनन को रोकना है।

चीफ जस्टिस ने अवैध उत्खनन और परिवहन रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर असंतोष जाहिर किया।

चीफ जस्टिस ने अवैध उत्खनन और परिवहन रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर असंतोष जाहिर किया।

‘DM को सफाई करनी है, तो वे कलेक्ट्रेट छोड़ दें’

चीफ जस्टिस ने टिप्पणी करते हुए कहा कि, अगर DM को सफाई करनी है, तो वे कलेक्ट्रेट छोड़ दें और सफाई कर्मचारी बन जाएं। यह डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट का काम नहीं है। कलेक्टर को अपनी ड्यूटी ऑफिस में बैठकर करनी चाहिए। अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी।

इस मामले में अलग-अलग जनहित याचिकाएं दायर की गई है, जिसकी सुनवाई के दौरान एडवोकेट जनरल प्रफुल्ल एन भारत ने बताया कि खनिज विभाग के सचिव का शपथ पत्र पेश किया गया है। राज्य सरकार ने अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण रोकने के लिए 6 सदस्यीय समिति बनाई है।

इसमें खनिज विभाग के उपसंचालक और खनिज अधिकारी शामिल हैं। समिति को 30 दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया है।

रिपोर्ट के आधार पर खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम में बदलाव की प्रक्रिया विधि विभाग को भेजी जाएगी। डिवीजन बेंच ने नदी के पुनर्जीवन को लेकर बिलासपुर कलेक्टर के प्रयासों पर नाराजगी जताई।

चीफ जस्टिस ने कहा- कलेक्टर नदी की सफाई कर रहे हैं या फोटो खिंचाने के लिए दिखावा कर रहे हैं? कोर्ट ने टिप्पणी की कि कलेक्टर जिले के जिम्मेदार अधिकारी हैं, उन्हें सकारात्मक कदम उठाने चाहिए।

डिवीजन बेंच ने नदी के पुनर्जीवन को लेकर कलेक्टर के प्रयासों पर नाराजगी जताई। (अरपा नदी की फाइल फोटो)

डिवीजन बेंच ने नदी के पुनर्जीवन को लेकर कलेक्टर के प्रयासों पर नाराजगी जताई। (अरपा नदी की फाइल फोटो)

नाराज CJ ने कहा- चीफ सेक्रेटरी और DGP की तस्वीरें तो नहीं आती

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सिन्हा ने कलेक्टर-एसपी की मीडिया में लगातार आ रही तस्वीरों पर कड़ी नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि यह परंपरा बन गई है। मीडिया में उनकी तस्वीर न आए तो भोजन नहीं पचता।

उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि मीडिया में चीफ सेक्रेटरी और DGP की तस्वीरें तो नहीं आती। मीडिया में फोटो छपवाने और 2 फावड़ा चलाने से नदी की सफाई हो जाएगी क्या।

अब अवैध खनन जारी रहा तो अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई

हाईकोर्ट ने खनिज विभाग के सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर अवैध उत्खनन जारी रहा तो दोषी अधिकारियों और संबंधित व्यक्तियों पर सख्त कार्रवाई होगी।

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन. भारत ने अदालत को जानकारी दी कि राज्य सरकार ने अवैध उत्खनन, परिवहन और भंडारण रोकने के लिए एक छह सदस्यीय समिति गठित की है, जिसमें खनिज विभाग के उपसंचालक और खनिज अधिकारी शामिल हैं।

यह समिति 30 दिनों में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी, जिसके आधार पर खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम के नियमों में बदलाव पर विचार किया जाएगा। इस पर भी डिवीजन बेंच ने आपत्ति जताई और कहा कि ठीक है अगली सुनवाई तक क्या करते हैं देख लेते हैं।

निगम कमिश्नर से मांगा शपथ पत्र

सुनवाई के दौरान नगर निगम ने शपथ पत्र पेश कर बताया कि स्ट्रीम इंफ्रा डेवलपमेंट कंसल्टेंट प्राइवेट लिमिटेड, पुणे से परियोजना रिपोर्ट मिल चुकी है। डीपीआर के सत्यापन के लिए पीएचई विभाग के मुख्य अभियंता से तकनीकी रिपोर्ट मांगी गई थी।

रिपोर्ट अप्रूव होने के बाद कंपनी ने 10 फरवरी 2025 को संशोधित प्लान दिया। प्रशासनिक मंजूरी के बाद टेंडर भी जारी कर दिया गया। इस पर अरपा नदी की सफाई और ट्रीटमेंट प्लांट की प्रगति पर भी रिपोर्ट मांगी गई है। हाईकोर्ट ने नगर निगम आयुक्त से इस मामले में अगली सुनवाई में शपथ पत्र देने को कहा है।

हाईकोर्ट ने कहा था- अवैध खनन रोकने सख्त कानून लाए सरकार

कोर्ट ने इससे पहले 12 फरवरी के आदेश में कहा था कि खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 में अवैध उत्खनन और परिवहन पर आपराधिक मुकदमा चलाने का कोई प्रावधान नहीं है।

कोर्ट ने राज्य सरकार को सख्त कानून लाने के निर्देश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि जुर्माना और कम्पाउंडिंग से समस्या का समाधान नहीं हो रहा, क्योंकि इससे राज्य के प्राकृतिक संसाधन नष्ट हो रहे हैं। कोर्ट ने भरोसा जताया था कि सरकार जल्द कानून बनाएगी और अवैध उत्खनन पूरी तरह रोका जाएगा।

सख्त कानून लाने के निर्देश, 22 अप्रैल को होगी अगली सुनवाई

कोर्ट ने इस पूरे मामले में खनिज विभाग के सचिव और नगर निगम आयुक्त बिलासपुर से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है। हाईकोर्ट ने अवैध उत्खनन रोकने के लिए राज्य सरकार से सख्त कानून लाने की मांग दोहराई, क्योंकि मौजूदा जुर्माना और कम्पाउंडिंग व्यवस्था प्रभावी नहीं है। इस मामले पर अगली सुनवाई 22 अप्रैल को होगी।

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