गरियाबंद की देवभोग पुलिस पर आदिवासी को बिना वजह मारने का आरोप लगा है। जिसके बाद समाज के सभी लोग एकजुट हो गए है और कार्रवाई की मांग कर रहे है। आरोप है कि जांच के नाम पर लालधर पोर्टी (45) को पुलिस थाने ले गई और इतना मारा की उसके पैर की हड्डी टूट गई। बु
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मामला 31 जनवरी 2025 का है। जब चलनापदर पोड पारा की एक नाबालिग की गुम हो गई थी। जांच के नाम पर अधेड़ को पुलिस अपने साथ ले गई थी और मारपीट की। पुलिस के डर से अधेड़ ने किसी को नहीं बताया था लेकिन जब मामला समाज पदाधिकारियों तक पहुंचा तो वे अब उग्र हो गए हैं।
आदिवासी विकास परिषद के पदाधिकारी बुधवार को पीड़ित को थाने लेकर पहुंचे जहां जमकर हंगामा किया। पीड़ित को उस कमरे तक लेकर भी गए जहां पुलिस ने कमरा बंद कर उसे मारा था, और उसकी आपबीती भी सुनी। थाने के बाहर बाद पुलिस और आदिवासी नेताओं के बीच जम कर बहस हुई। मामले में आदिवासी नेताओं ने अब दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।

थाने के बाहर महिलाओं ने हंगामा किया
निर्दोष को टॉर्चर करना गलत – आदिवासी समाज
पीड़ित लालधर पोर्टी ने बताया कि थाने में उन्हें हाथ पैर में खूब मारा जिसके बाद वे अस्पताल गए थे। डॉक्टरों ने दो इंजेक्शन भी लगाया था।
आदिवासी नेता और जिला सदस्य संजय नेताम ने कहा कि जब उन्हें थाने ले गए थे तो सही सलामत लाए थे। लेकिन जब वापस छोड़े तो उनकी हालत खराब थी।
आदिवासी समाज के साथ अत्याचार हो रहा है। आगे हम रणनीति बनाकर काम करेंगे। टीआई से इस बारे में चर्चा हुई है, वो गोल-गोल घुमाकर बात कर रहे थे। वहीं उन्होंने न्याय और मुआवजे की मांग की है।
महिला प्रकोष्ठ आदिवासी विकास परिषद की प्रदेश अध्यक्ष लोकेश्वरी नेताम ने कहा कि हमारे आदिवासी भाई को थाने में मारा और पैर तोड़कर वापस छोड़ गए। पीड़ित की 80 साल की बूढ़ी मां रो रही है। गलती हो तो आदिवासियों को जेल भेजो लेकिन निर्दोष को टॉर्चर करना ये गलत बात है।

आदिवासी समाज ने न्याय की मांग की है
देवभोग पुलिस बोली- मारपीट नहीं किया
देवभोग थाना प्रभारी गौतम गावड़े ने कहा कि पिछले साल अगस्त महीने में 16 साल की लड़की गुम हो गई थी। मोबाइल सीबीआर के आधार पर लालधर पोर्टी को पूछताछ के लिए थाने लेकर आए थे। लेकिन कोई मारपीट नहीं किया गया है। घर छोड़ते वक्त डॉक्टरी मुलाहिजा कराया गया, उसे स्वास्थ्य हालात में सुरक्षित घर छोड़ दिया गया था।
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