Last year in May the consumption was 6368 MW, this year in April itself it increased to 7006 | गर्मी हाई: पिछले साल मई में 6368 मेगावॉट थी खपत, इस साल अप्रैल में ही 7006 हो गई – Raipur News

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April 25, 2025



छत्तीसगढ़ में बढ़ती गर्मी के बीच बिजली की डिमांड भी बहुत तेजी से बढ़ी है। यही कारण है कि पिछले साल मई में अधिकतम मांग 6368 मेगावॉट थी, जो इस साल अप्रैल में ही 10 प्रतिशत बढ़कर 7006 मेगावॉट तक पहुंच गई। भारी डिमांड के चलते छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनी दूसर

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छत्तीसगढ़ स्टेट पॉवर कंपनी, पॉवर एक्सचेंज और बैंकिंग के साथ ही एचपीडीएएम (हाई प्राइज डे अहेड मार्केट) के जरिए मंहगी दरों पर बिजली खरीद रही है। छत्तीसगढ़ में बिजली की औसत डिमांड दिन में 5120 मेगावॉट है, लेकिन पीक ऑवर शाम 6 बजे से रात तक यह मांग 6500 से 7000 मेगावॉट से अधिक पहुंच रही है। इसे पूरा करने करीब 800 मेगावॉट बिजली एचडीपीएम के जरिए ली जा रही है।

इसमें अधिकतम 14.50 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदी जा रही है। कई बार इतनी अधिक दर पर भी बिजली नहीं मिलती। 24 अप्रैल को पॉवर कंपनी ने 6800 मेगावॉट बिजली की मांग का आकलन करते हुए अतिरिक्त बिजली मार्केट से क्रय करने की प्लानिंग की। इसी तरह प्रतिदिन एक अलग टीम प्रदेश में संभावित मांग और आपूर्ति का तालमेल करते हुए पॉवर परचेज करती है।

दिन में लोड कम तो दूसरे राज्यों में कर रहे सप्लाई

छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी की क्षमता 2978.7 मेगावॉट है। इसके अलावा राज्य सरकार से अनुबंध के आधार पर सेंट्रल सेक्टर से 3380 मेगावॉट बिजली मिलती है। इसके अलावा सोलर संयंत्र से लगभग 700 मेगावॉट बिजली मिलती है। शाम को ही पीक ऑवर होता है।

रात में घरों में एसी, पंखे, कूलर के साथ ही दूसरी जरूरतें के कारण लोड बढ़ जाता है। प्रदेश में दिन के समय मांग की तुलना में अधिक बिजली रहने पर छत्तीसगढ़ दूसरे राज्यों को बिजली देता है। दिन के समय बिजली की अधिकता रहने पर अभी हिमाचल प्रदेश को 250 मेगावॉट बैंकिंग के जरिए बिजली आपूर्ति की जा रही है। यह बिजली हिमाचल प्रदेश जुलाई, अगस्त, सितंबर में लौटाएगा। इसी तरह पंजाब और दिल्ली को पहले 50-50 मेगावॉट बिजली दी गई थी, जिसे अभी रात के समय दोनों राज्य लौटा रहे हैं।

वन नेशन, वन ग्रिड के आधार पर ग्रिड में डाली जाती है देशभर की बिजली

वन नेशन, वन ग्रिड के आधार पर देशभर के सभी विद्युत घरों की उत्पादित बिजली ग्रिड में डाली जाती है, उसे राज्य आवश्यकतानुसार क्रय करके अपने राज्य में बिजली आपूर्ति की व्यवस्था करते हैं। इसके लिए राष्ट्रीय स्तर पर एक दिन पहले मांग बताई जाती है। फिर मांग के अनुसार हर 15 मिनट के स्लैब में बिजली की दरें जारी होती हैं, जिस राज्य की दर अधिक रहती है, उसे विद्युत उत्पादक कंपनियां बिजली बेचती हैं।

15 दिनों में ही इलेक्ट्रिसिटी से संबंधित 1.56 लाख शिकायतें हुईं दर्ज

बिजली की अधिक मांग के कारण विद्युत प्रणाली पर भारी दबाव पड़ा है। इसके कारण विगत 15 दिनों में केंद्रीकृत कॉल सेंटर में कुल 65 लाख उपभोक्ताओं में से 1 लाख 56 हजार शिकायतें दर्ज की गई, जिनका निराकरण किया गया है। त्वरित मरम्मत के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं। इस वर्ष विगत वर्षों की अपेक्षा अप्रैल माह में ही तेज गर्मी पड़ने लगी है। इसके कारण विभिन्न श्रेणियों के उपभोक्ताओं की बिजली की मांग तेजी से बढ़ी है।



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