Story of young IAS officers of CG Civil Service Day Dainik Bhaskar Tanmay Khanna Pratishtha Mamagai Jayant Nahata IAS | CG के यंग IAS ऑफिसर्स की कहानी: शाहरुख का गाना UPSC इंटरव्यू में सुनाया, करोड़ों का पैकेज छोड़ा, 28-30 की उम्र में चला रहे प्रशासन – Raipur News

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April 21, 2025


आज हमारे आस-पास 28 से 30 साल की उम्र का यूथ या तो डिप्रेस है, या फिर सोशल मीडिया में व्यस्त। मगर छत्तीसगढ़ में काम कर रहे इसी उम्र के कुछ युवा प्रशासन चला रहे हैं। कोई कलेक्टर है तो कोई जिलों में प्रमुख पदों पर काम कर रहा है। इनके नाम के बाद लिखा जाता

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करोड़ों का पैकेज छोड़ा बिलासपुर में SDM रहे तन्मय इस वक्त दिल्ली में रोड ट्रांसपोर्ट हाइवे मिनिस्ट्री में असिस्टेंट सेक्रेट्ररी हैं। ट्रेनिंग पूरी कर वो अगस्त में फिर छत्तीसगढ़ लौटेंगे। महज 25 साल की उम्र में तन्मय साल 2022 में IAS बन चुके थे। इस वक्त उनकी उम्र 28 है। 2020 तक तन्मय को न UPSC के बारे में ज्यादा कुछ पता था न ही IAS के काम-काज के बारे में। वो ट्रिपल आईटी हैदराबाद में लैंग्वेज पर रिसर्च कर रहे थे। एेसा टूल बना रहे थे जिससे भारत में बोली जाने वाली अलग-अलग भाषाओं में बच्चे पढ़ सकें।

उन्हें भारत सरकार का एक प्रोजेक्ट मिला, जिसमें देश की टॉप युनिवर्सिटी के लेक्चर को भारत की 12 भाषाओं में डिजिटली तैयार करना था। यहीं से उन्हें पता चला कि सरकार कितनी गहराई से लोगों के लिए काम करती है। यहीं से सरकारी क्षेत्र में आकर कुछ नया करने की सोची। मगर तब ट्रिपल आईटी हैदराबाद में प्लेसमेंट में दोस्तों की जॉब लग रही थी। तन्मय बताते हैं कि आज उनके दोस्तों के विदेशाें में नौकरी के पैकेज करोड़ों में हैं, मैं गोल्ड मेडलिस्ट था जा सकता था मगर मैं नहीं गया।

तन्मय ने बताया कि जब पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी की बारी आई तो घर वालों को भी उम्मीद थी। मगर मैंने कॉलेज में ही 25 हजार की स्टायपंड पर काम किया UPSC की तैयारी की। घर वालों ने पूछा कि कैसे कर पाओगे तो मैंने बस कह दिया वो तो हो जाएगा…और हुआ भी। जब इंटरव्यू में पहुंचा तो बहुत से गंभीर मुद्दों पर बात हो रही थी। तभी मेरी हॉबी सिंगिग पर चर्चा शुरू हुई मुझे गाना गाने को कहा गया, मैंने शाहरुख खान की मूवी से मितवा सॉन्ग सुनाया। ठीक ही गाया होगा, इंटरव्यू में नंबर अच्छे मिले थे क्योंकि।

IAS तन्मय एनिमल लवर भी हैं।

IAS तन्मय एनिमल लवर भी हैं।

जब मैंने परिवार में आगे नौकरी न करते हुए UPSC की तैयारी की बात कही थी तो सभी शॉक्ड थे। क्योंकि मुश्किल एग्जाम देकर मैं ट्रिपल आईटी में सिलेक्ट हुआ था, फिर से नई तैयारी करनी थी। मगर घर वालों ने सपोर्ट किया। पढ़ना अच्छा लगता था तो तैयारी को डेढ़ साल का समय दिया और पहले अटेम्प्ट में कामयाबी मिली। इसके बाद बिलासपुर में आकर अवनीश शरण सर के साथ काम सीखा, सीखने का सिलसिला जारी है।

पहली महिला कलेक्टर नक्सल प्रभावित जिले में नाम है प्रतिष्ठा मामगई 30 साल की प्रतिष्ठा महज 23 की उम्र में IAS बन चुकी थीं। दिल्ली में पली बढ़ीं प्रतिष्ठा इस वक्त प्रदेश की यंग कलेक्टर हैं। नक्सल प्रभावित जिले नारायणपुर की पहली महिला कलेक्टर हैं। बाइक पर सुरक्षा बल के जवानों के साथ अंदरूनी नक्सल प्रभावित जिलों में काम के लिए निकल जाती हैं।

बाइक पर यूं जवानों के साथ अंदरूनी गांवों का दौरा करती हैं प्रतिष्ठा।

बाइक पर यूं जवानों के साथ अंदरूनी गांवों का दौरा करती हैं प्रतिष्ठा।

प्रतिष्ठा गांव-गांव जाकर आम लोगों से मिलकर प्रशासन की सुविधाएं खुद पहुंचा रही हैं। वो बताती हैं कि उनकी मां टीचर रही हैं। मां का सपना था IAS बनने का मगर वो पूरा नहीं हुआ, उन्होंने बेटी प्रतिष्ठा को इसके बारे में बचपन में ही बताया और तैयार किया। प्रतिष्ठा ने पहली बार में ही UPSC का एग्जाम क्रैक किया। प्रतिष्ठा ने बताया कि नारायणपुर के गांवों में मेडिकल फैसेलिटी-शिक्षा की सुविधा ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुंचे इसपर काम कर रहे हैं। इसमें कामयाब हुए तो इससे बड़ा सैटिसफैक्शन कुछ नहीं होगा मेरे लिए।

प्रतिष्ठा नारायणपुर में स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाएं पहुंचाने पर कर रही हैं काम।

प्रतिष्ठा नारायणपुर में स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधाएं पहुंचाने पर कर रही हैं काम।

छत्तीसगढ़ के बारे में सुनकर तैयारी शुरू की यहीं ऑफिसर बने 30 साल के जयंत नहाटा इस वक्त दंतेवाड़ा में जिला पंचायत के CEO हैं। 2021 बैच के IAS जयंत ने तैयारी के दिनों में दंतेवाड़ा के बारे में यहां काम कर रहे IAS के बारे में पढ़ा-सुना था। यहीं से उन्हें IAS बनने की इंस्पीरेशन मिली और वो जुट गए। करियर की शुुरुआत में रायपुर में असिस्टेंट कलेक्टर, SDM रहे, बीरगांव नगर निगम के चीफ ऑफिसर रहे।

जयंत स्टूडेंट्स को कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी बेस्ड एजुकेशन देने पर भी काम कर रहे हैं।

जयंत स्टूडेंट्स को कंप्यूटर और टेक्नोलॉजी बेस्ड एजुकेशन देने पर भी काम कर रहे हैं।

जयंत बताते हैं IIT दिल्ली में पढ़ाई के वक्त से ही मैं टेक्नोलॉजी को आम आदमी की जिंदगी से जोड़ने पर काम करता था। रायपुर में हमने कोडिंग पाठशाला शुरू कि इससे यहां रहने वाली बच्चियों को कई जगहों पर नौकरी मिली। दंतेवाड़ा बस्तर के यूथ के लिए भी ऐसे प्रयास हम कर रहे हैं। आईआईटी दिल्ली में हमने आंच नाम का प्रोजेक्ट किया था, इसमें हम गांव में स्मोक फ्री चूल्हे पहुंचाने का काम करते थे। यहीं से गांवों में सरकारी सेवा से जुड़कर कुछ बेहतर करने का ख्याल आया।

दंतेवाड़ा में पदस्थ हैं जयंत।

दंतेवाड़ा में पदस्थ हैं जयंत।

जयंत बताते हैं कि पढ़ाई खत्म हो रही थी तो इसके बाद 15 लाख के पैकेज की शुरुआती नौकरी भी मिल रही थी। मगर मन में ये बात आई कि काम के साथ शायद तैयारी उतनी अच्छी न हो पाए तो जॉब नहीं की और तैयारी में ही लगा रहा। मैं स्टॉप वॉच से पढ़ने का समय मॉनिटर करता था कि कितने देर पढ़ा। लगातार समय दिया और कामयाबी मिली।

28 साल की सहा. कलेक्टर अनुपमा आनंद केरल की रहने वालीं अनुपमा आनंद की उम्र 28 साल है। IAS अनुपमा ने हाल ही में रायपुर में सहायक कलेक्टर के रुप में ज्वाइन किया है। फिलहाल वो स्पेशल ट्रेनिंग के लिए दिल्ली गई हुई हैं। इंजीनियरिंग के बाद अनुपमा ने IAS बनने के बारे में सोचा। कॉलेज में लेक्चर्स के लिए आने वाले अधिकारियों को देखकर वो प्रभावित हुईं और UPSC क्रैक करने का मन बना लिया।

अनुपमा इस वक्त दिल्ली में ट्रेनिंग के लिए गई हुई हैं।

अनुपमा इस वक्त दिल्ली में ट्रेनिंग के लिए गई हुई हैं।

अनुपमा ने बताया कि इस सर्विस से हम देश और समाज के लिए कुछ कर पाते हैं, मैं यही करना चाह रही थी। पहली कोशिश में मैं इंटरव्यू तक सिलेक्ट हुई मगर मार्क्स कम रह गए। बुरा लगा था मगर मैंने इस नाकामयाबी को खुद पर हावी होने नहीं दिया, नए सिरे से खुद को तैयार किया। इसके बाद सिलेक्ट हुई।

क्यों मनाया जाता है सिविल सर्विस डे भारत में सिविल सेवा दिवस का पहला आयोजन साल 2006 में 21 अप्रैल को किया गया था, जिसके बाद से यह लगातार मनाया जा रहा है। सिविल सेवा दिवस के अवसर पर पूरे सान लोक प्रशासन में बेहतर काम करने के लिए अधिकारियों को प्रधानमंत्री पुरस्कार मिलता है।

ये हैं पहले भारतीय IAS सत्येंद्र नाथ।

ये हैं पहले भारतीय IAS सत्येंद्र नाथ।

स्वतंत्र भारत के पहले गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने 21 अप्रैल को ही सिविल सेवकों के पहले बैच को दिल्ली स्थित मैटकाफे हाउस में संबोधित किया था, जिसके बाद से यह दिवस मनाया जाने लगा। उन्होंने अधिकारियों को संबोधित करते हुए सिविल सेवकों को भारत का स्टील फ्रेम कहा था। सिविल सेवा में चयनित होने वाले सत्येंद्र नाथ टैगोर पहले भारतीय थे, जो कि एक आईएएस अधिकारी बने थे। वैसे तो सिविल सेवा की नींव वारेंट हेस्टिंगंस ने रखी थी। हालांकि, बाद में लॉर्ड कार्नवालिस ने इसमें कई सुधार किए। उनके द्वारा किए जाने वाले सुधार के बाद कार्नवालिस को सिविल सेवा का जनक कहा जाने लगा।

सिविल सेवा, सुशासन की रीढ़- मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने राष्ट्रीय सिविल सेवा दिवस (21 अप्रैल) के अवसर पर देश सेवा में समर्पित सभी सिविल सेवकों एवं उनके परिवारजनों को हार्दिक शुभकामनाएँ दी हैं। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यह दिन न केवल सिविल सेवकों के अमूल्य योगदान को स्मरण करने का अवसर है, बल्कि यह भविष्य की चुनौतियों के संदर्भ में आत्ममंथन और नवचिंतन का भी दिवस है। यह अवसर हमें याद दिलाता है कि प्रशासनिक तंत्र राष्ट्र के विकास पथ का मूल आधार है, और सिविल सेवकों की दक्षता, निष्ठा और दूरदृष्टि ही नीतियों को ज़मीन तक पहुँचाने में सहायक होती है।

यंग ऑफिसर्स से हाल ही में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने की थी मुलाकात।

यंग ऑफिसर्स से हाल ही में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने की थी मुलाकात।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सिविल सेवक वह कड़ी हैं जो सरकार की योजनाओं और जनता की अपेक्षाओं के बीच सेतु का कार्य करते हैं। उन्होंने कहा सिविल सेवकों की प्रतिबद्धता और परिश्रम से ही देश और प्रदेश सुशासन के पथ पर अग्रसर होता है। उन्होंने सिविल सेवकों को निष्ठापूर्वक अपने कर्तव्यों का वहन करते हुए देश और प्रदेश की उन्नति में अपना बहुमूल्य योगदान देने के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि आपकी प्रतिबद्धता एवं कर्मठता ही भारत को एक समर्थ, समावेशी और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने की नींव है।



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