The Story of Martyr Akash Rao: Cracked 5 State PSC Exams | 5 राज्यों की PSC क्रैक किए शहीद आकाश की कहानी: दोस्त को याद कर रो पड़े अफसर; बताए स्कूल और ट्रेनिंग के किस्से – Chhattisgarh News

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June 10, 2025


शहीद आकाश राव गिरिपूंजे केवल एक बहादुर अफसर नहीं थे, वे उन चंद लोगों में से थे जिनका सपना था सिस्टम का हिस्सा बनकर बदलाव लाना। 5 राज्यों की PSC निकालने वाला ये युवा अफसर आकाश नक्सलियों के लगाए IED ब्लास्ट में शहीद हो गए।

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लेकिन उनके जाने के बाद भी कई यादें हैं जो उनके दोस्तों, बैचमेट्स और परिवार वालों के दिल में जिंदा हैं। कोई उन्हें स्कूल के बाहर 1 रुपए वाला समोसा खाने वाला दोस्त याद करता है, तो कोई वो जोश भर देने वाले ट्रेनिंग के गाने। रायपुर के जिस घर से निकलकर देश की सेवा में आकाश गए, अब शहीद होकर लौटे हैं।

उनके पुराने दोस्त, बैचमेट और छोटे भाई से बात करते हुए कई अफसरों की आंखें नम हो गईं। बातचीत के दौरान उन्होंने आकाश से जुड़ी कई यादें साझा कीं स्कूल से लेकर पीएससी की तैयारी, ट्रेनिंग के किस्से, और मोर्चे पर डटे रहने की जिद तक।

आदित्य नामदेव- शहीद ASP आकाश राव के स्कूल के दोस्त।

आदित्य नामदेव- शहीद ASP आकाश राव के स्कूल के दोस्त।

आदित्य नामदेव – शहीद ASP आकाश राव के स्कूल के दोस्त

सवाल: आपकी और आकाश राव की दोस्ती कब से थी?

जवाब: हमारी दोस्ती स्कूल के दिनों से थी। हम दोनों ने 9वीं और 10वीं में कालीबाड़ी स्कूल में साथ पढ़ाई की थी। आकाश बहुत इंटेलिजेंट था। बोलने और खाने का शौकीन भी। डिबेट कॉम्पिटिशन होता था तो अक्सर हमें साथ बाहर भेजा जाता था।

सवाल: कोई यादगार किस्सा जो आज भी जहन में हो?

जवाब: हां, बहुत साफ याद है, स्कूल के सामने एक समोसे की दुकान लगती थी। तब 1 रुपए में समोसा मिला करता था। रिसेस में हमारा एक ही मिशन होता था, बाहर जाकर समोसे खाना। हम साथ में कई बार फिल्म देखने भी जाते थे और सप्रे ग्राउंड में क्रिकेट खेलकर घर लौटते थे। तब क्रिकेट और फिल्मों से खासा लगाव था।

सवाल: क्या उस वक्त पुलिस सेवा में जाने की बात होती थी?

जवाब: आकाश शुरू से क्लियर था कि उसे कुछ बड़ा करना है। 10वीं के बाद जब 11वीं में सब्जेक्ट मेरिट के आधार पर मिलते थे, तो उसे मैथ्स मिल रहा था लेकिन उसने कॉमर्स चुना क्योंकि उसे कॉम्पिटिटिव एग्जाम की तैयारी करनी थी।

सवाल: प्रोफेशनल लाइफ में क्या संपर्क बना रहा?

जवाब: हां, जब वो बैंकिंग प्रोफेशन में था तब भी हमारी मुलाकात हुई थी। उसी वक्त उसने कहा था कि पीएससी की तैयारी कर रहा है। उसने कभी हार नहीं मानी। 2013 में परीक्षा क्रैक कर ली और राज्य पुलिस सेवा में चयन हुआ।

सवाल: बतौर पुलिस अधिकारी उसकी सबसे खास बात क्या थी?

जवाब: अनुशासन और डेडिकेशन। मुश्किल हालातों में भी लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखना आकाश की खूबी थी। वो टीम के साथ, खुद सबसे आगे रहने वाला अफसर था। अगर कोई और होता, तो टीम को आगे भेजता, लेकिन वो खुद गया। शायद इसी वजह से वो आज हमारे बीच नहीं है।

सवाल: उसकी पर्सनैलिटी के बारे में कुछ कहें?

जवाब: बहुत ही हेल्पिंग नेचर का इंसान था। हमेशा मदद के लिए तैयार। उसमें लीडरशिप क्वालिटी थी, जो हर अफसर में नहीं होती। वो काम में खुद शामिल होता था, कभी पीछे नहीं रहता था।

सवाल: इस घटना के बाद सिस्टम और सरकार को लेकर क्या कहेंगे…?

जवाब: हां, नक्सल मोर्चे पर डटे सभी अफसर अपनी जान हथेली पर लेकर चलते हैं। IED जैसे खतरों को लेकर और सतर्कता जरूरी है। सरकार को भी सोचना चाहिए। जो अफसर 10-15 साल से नक्सल बेल्ट में हैं, उन्हें एक समय के बाद शहरों में वापसी का विकल्प मिलना चाहिए।

सवाल: अब जबकि आकाश हमारे बीच नहीं हैं, आपके मन में क्या बात है?

जवाब: आकाश तो चला गया, लेकिन पीछे उसका परिवार है – मां-बाप, पत्नी, बच्चे। सरकार को उसकी शहादत का सम्मान करते हुए उनके बच्चों की शिक्षा और पूरे परिवार की देखरेख की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

एडिशनल एसपी अविनाश सिंह ठाकुर दोस्त आकाश को याद कर रो पड़े।

एडिशनल एसपी अविनाश सिंह ठाकुर दोस्त आकाश को याद कर रो पड़े।

अविनाश सिंह ठाकुर, एडिशनल एसपी – शहीद आकाश राव के बैचमेट और करीबी मित्र

सवाल: आप और आकाश राव की दोस्ती कब से और कैसे हुई?

जवाब: हम दोनों एक ही बैच के अफसर थे, इसलिए ट्रेनिंग के वक्त जो दोस्ती बनी, वो आगे तक कायम रही। ट्रेनिंग के बाद भले ही अलग-अलग जिलों में पोस्टिंग हुई, लेकिन दोस्ती बरकरार रही।

सवाल: क्या कभी दोनों को एक ही जगह पोस्टिंग मिली थी?

जवाब: हां, एक समय ऐसा भी आया जब हम दोनों रायपुर में पोस्टेड थे। मैं सीएसपी था और वो पश्चिम क्षेत्र के एडिशनल एसपी। राजधानी में लॉ एंड ऑर्डर से लेकर कई क्राइम मामलों तक हम साथ फील्ड में उतरते थे। कई बार मेरे घर से टिफिन नहीं आता था तो आकाश के घर से मेरे लिए खाना आ जाता था। इतना अपनापन था उसमें।

सवाल: कोई यादगार निजी पल जो आज भी याद आता हो?

जवाब: जब वो महासमुंद में पोस्टेड था और मैं कांकेर में था, तब उसने मुझे और मेरे परिवार को दिवाली मनाने बुलाया था। आकाश के भी दो छोटे बच्चे हैं और मेरे भी। हमने वो दिवाली साथ मनाई, वो एक यादगार दिन था। आज जब सोचता हूं तो आंखें नम हो जाती हैं।

सवाल: बिलासपुर पोस्टिंग का भी जिक्र आपने किया था…

जवाब: हां, ट्रेनिंग के बाद हम दोनों काफी वक्त बिलासपुर में भी साथ रहे। साथ रहना, घूमना, किसी काम से जाना हो तो भी साथ। आकाश अगर साथ हो तो किसी तीसरे की जरूरत नहीं लगती थी। वो इतनी गर्मजोशी से मिलता था कि कोई अजनबी भी अपना बन जाता था।

सवाल: व्यक्तिगत तौर पर आकाश से आपने क्या सीखा?

जवाब: बहुत कुछ। सबसे बड़ी बात, लोगों को जोड़ने की कला। जितनी आसानी से वो सबके साथ घुल-मिल जाता था, शायद मैं वैसा नहीं बन पाऊंगा। क्योंकि मेरे भाई में ऐसी क्वालिटी थी जो हर किसी में नहीं होती।

सवाल: आज जब वो हमारे बीच नहीं हैं, क्या सबसे ज्यादा याद आता है?

जवाब: उसकी मौजूदगी। उसकी मुस्कान, उसका अपनापन। आज भले वो नहीं है, लेकिन उसकी यादें हैं, और वो हमेशा रहेंगी। ये हमारे बैच के लिए ऐसी क्षति है जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता।

बैचमेट रामगोपाल करियारे बोले- आकाश हमारे बैच का गौरव था।

बैचमेट रामगोपाल करियारे बोले- आकाश हमारे बैच का गौरव था।

रामगोपाल करियारे, एडिशनल एसपी – शहीद आकाश राव के बैचमेट और करीबी मित्र

सवाल: आपकी आकाश राव से पहली मुलाकात कब और कैसे हुई?

जवाब: जब सिलेक्शन लिस्ट आई थी, तभी से हमारी बात होती थी। लेकिन असल में हमारी मुलाकात पुलिस अकादमी में ट्रेनिंग के दौरान हुई। धीरे-धीरे जान-पहचान बढ़ी और फिर हमारा रिश्ता दोस्ती से आगे बढ़कर पारिवारिक हो गया।

सवाल: आप उन्हें एक अफसर के तौर पर कैसे याद करते हैं?

जवाब: आकाश सिर्फ एक बेहतरीन पुलिस अफसर नहीं, बल्कि एक शानदार इंसान था। हमारी पूरी बैच में उनका व्यक्तित्व सबसे मजबूत था। वो सहयोगी था, खुशमिजाज था और सबको साथ लेकर चलने वाला था। कई गैलेन्ट्री अवॉर्ड्स उसने अपने नाम किए। वो हमारी बैच का गौरव था।

सवाल: ट्रेनिंग के दौरान का कोई यादगार किस्सा जो आज भी आपके साथ हो?

जवाब: हां, ट्रेनिंग के 18 महीनों में जब भी हम थक जाया करते थे, आकाश देशभक्ति और फिल्मी गाने गाकर जोश भर देता था। उसकी आवाज में भी उतना ही दम था जितना उसके इरादों में।

सवाल: जब शहादत की खबर कैसे मिली आपको?

जवाब: यकीन ही नहीं हुआ। कुछ पल के लिए तो सब स्तब्ध हो गए। कोई मान ही नहीं पा रहा था कि जो आदमी मोर्चे पर डटकर खड़ा रहता था, वो अब हमारे बीच नहीं है। उसने नक्सल इलाकों में कई बार जान जोखिम में डालकर ऑपरेशन लीड किया था। 2019 में भारत सरकार ने उसे गैलेन्ट्री अवॉर्ड से सम्मानित किया था,बिल्कुल जायज़ सम्मान था।

सवाल: एक साथी के तौर पर उनकी क्या सबसे बड़ी खासियत थी?

जवाब: आकाश का व्यवहार ऐसा था कि वो पूरी टीम को साथ लेकर चलता था। चाहे सीनियर हो या जूनियर, सभी उससे जुड़ जाते थे। वो हर परिस्थिति में ढल जाता था। नक्सल ऑपरेशन के दौरान वो कहीं भी, किसी के साथ खाना खा लेता था। ये बात ही उसे सबका चहेता बना देती थी।

सवाल: उनकी शहादत बाकी अफसरों और आने वाली जनरेशन के लिए क्या संदेश देती है?

जवाब: बिल्कुल। उसकी शहादत हमें संबल देती है, हिम्मत देती है। ये एक प्रेरणा है कि हम भी उतने ही समर्पण और निष्ठा से काम करें जैसे आकाश करता था। वो सिर्फ एक अधिकारी नहीं, एक जाबांज योद्धा था और रहेगा।

भाई ने कहा- भैय्या हम भाई-बहनों के लिए हमेशा साथ खड़े रहे।

भाई ने कहा- भैय्या हम भाई-बहनों के लिए हमेशा साथ खड़े रहे।

ऋषभ, भाई (आकाश राव के मामा के लड़के) – घर में सबके चहेते ‘भैय्या’

सवाल: आकाश राव को आप कैसे याद करते हैं? घर में उनका व्यवहार कैसा था?

जवाब: हमारे आकाश भैय्या को कभी हमने दुखी नहीं देखा। वे हमेशा हंसते रहते थे, और हमें भी हंसाते थे। पढ़ाई में शुरू से ही तेज थे। हम सब भाई-बहनों के लिए हमेशा साथ खड़े रहते।

सवाल: उनकी पढ़ाई और तैयारी का सफर कैसा रहा?

जवाब: ग्रेजुएशन के बाद वो दिल्ली गए यूपीएससी की तैयारी करने। चार अटेंप्ट दिए और चारों बार मेन्स तक पहुंचे। इसके साथ ही उत्तराखंड, यूपी, बिहार, हिमाचल और एमपी की पीएससी भी क्रैक की थी। बैंकिंग में भी काम किया, पहले एसबीआई और फिर यूको बैंक में। महज 7 हजार रुपए सैलरी में नौकरी शुरू की थी, लेकिन दिल तो हमेशा सेवा में लगा था। इसलिए बैंक की नौकरी छोड़कर छत्तीसगढ़ पुलिस सेवा को चुना।

सवाल: क्या तैयारी के दौरान घरवालों का भी संघर्ष रहा?

जवाब: बिल्कुल। पिता पहले किराए का गैरेज चलाते थे। लेकिन जब देखा कि भैय्या का पढ़ाई में मन है तो सब कुछ दांव पर लगाकर दिल्ली भेजा। मैंने खुद देखा है उन्हें पूरी रात पढ़ते और सुबह जाकर सोते थे। उनके उस समर्पण को आज भी याद करते हैं।

सवाल: क्या ऑपरेशन के दौरान घर में कोई बात शेयर करते थे?

जवाब: नहीं, बिल्कुल नहीं। जब भी नक्सल ऑपरेशन पर होते थे, परिवार को ज्यादा कुछ नहीं बताते थे। फोन नहीं उठता था तो हम समझ जाते थे कि वो फील्ड में हैं। वे नहीं चाहते थे कि कोई चिंता करे। सुकमा ऑपरेशन के दौरान तो पूरी बटालियन के साथ वो अंदर तक गए थे, 10-15 नए कैंप लगाए जहां सुरक्षाबल पहले कभी नहीं पहुंचे थे।

सवाल: आखिरी बार मुलाकात कब हुई थी?

जवाब: 20 मई को उनके बेटे सिद्धांत का बर्थडे था, तब रायपुर आए थे। बहुत खुश थे। उनकी बेटी का बर्थडे 11 जून को है, वो भी साथ में मनाने की तैयारी चल रही थी…लेकिन अब सब अधूरा रह गया।

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छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों के IED ब्लास्ट की चपेट में आने से कोंटा डिवीजन के ASP आकाश राव गिरिपुंजे शहीद हो गए हैं। वारदात में कोंटा SDOP भानुप्रताप चंद्राकर और टीआई सोनल ग्वाला घायल हैं, जिन्हें रायपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पढ़ें पूरी खबर



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