
यह घटना शुक्रवार, 4 अक्टूबर, 2002 की है। उस दिन दोपहर में देश के सभी बड़े न्यूज चैनलों पर एक समाचार बड़ी ब्रेकिंग न्यूज के रूप में फ्लैश होने लगा- ‘‘छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री अपने पूरे मंत्रिमंडल के साथ पुलिस द्वारा हिरासत में लिए गए।‘‘ उनके साथ कई सांस
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समाचारों के मुताबिक जोगी अपने मंत्रिमंडल और पार्टी नेताओं के साथ प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से भेंट करने जुलूस बनाकर जा रहे थे। यह जुलूस कुछ दूर तक शांतिपूर्वक चलता रहा और जब दिल्ली पुलिस ने जुलूस को रोकने की कोशिश की तो कुछ नेता पुलिस घेराबंदी को तोड़कर प्रधानमंत्री निवास की ओर दौड़ने लगे।
यह स्वाभाविक था कि पुलिस उन्हें प्रतिबंधात्मक आदेश तोड़ने से रोकती और हिरासत में लेती। हुआ भी यही, मुख्यमंत्री सहित सभी नेताओं को पकड़कर एक बस में बैठाकर तुगलक रोड के थाने ले जाया गया।
धान खरीदी के लिए मदद मांगी थी मामला इस प्रकार था। नया छत्तीसगढ़ राज्य बने मुश्किल से दो साल हुए थे। उस वर्ष छत्तीसगढ़ में भरपूर धान की फसल हुई थी। छत्तीसगढ़ सरकार ने समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी का विचार किया और धान खरीदी के लिए केन्द्र सरकार से वित्तीय सहायता मांगी।
इस प्रकार की खरीदी के लिए वित्तीय सहायता देने के लिए केन्द्र सरकार ने कोई सहमति नहीं दी। और तब, छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रधानमंत्री कार्यालय को सूचना दी कि पूरा मंत्रिमंडल और कांग्रेसी नेता प्रधानमंत्री से मिलकर अभ्यावेदन देने के लिए 4 अक्टूबर को आ रहे हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ऐसी मुलाकात के लिए न तो सहमति दी और न ही कोई समय निर्धारित किया। लेकिन एक राजनीतिक रणनीति के तहत मुख्यमंत्री अजीत जोगी अपनी घोषणा के अनुसार निर्धारित तिथि पर दिल्ली में जुलूस लेकर निकल पड़े।
जोगी और साथियों को बुलाया गया पीएम आवास मंत्रिमंडल के साथ मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी की खबर फैलने पर, प्रधानमंत्री सचिवालय ने अजीत जोगी से संपर्क किया और कहा कि वे 11 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल लेकर आ जाएं। बहरहाल, जोगी ने अपने सारे सहयोगियों के साथ प्रधानमंत्री से मिलने की बात कही।
इस पर प्रधानमंत्री कार्यालय ने उदारतापूर्वक सभी को प्रधानमंत्री निवास में बुला लिया। प्रधानमंत्री निवास में इन नेताओं की प्रधानमंत्री के साथ मुलाकात हुई और चाय-नाश्ते के साथ अच्छी खातिरदारी भी हुई। लेकिन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी धान खरीदी के लिए केन्द्र शासन से कोई वित्तीय सहायता देने के लिए सहमत नहीं हुए। स्थिति यथावत रही कि छत्तीसगढ़ सरकार अपने साधनों से धान खरीदे।
कांग्रेस को नहीं मिला अपेक्षित लाभ प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक ओर तो केन्द्र शासन की नीति की दृढ़ता बताई और दूसरी ओर निजी स्तर पर सौहार्द बताकर प्रतिनिधिमंडल को प्रभावित किया। इस वजह से दिल्ली में प्रदर्शन और गिरफ्तारी के घटनाक्रम से कांग्रेस को जो राजनीतिक लाभ मिलना था वह मिलने से रह गया। यह घटनाक्रम एक मीडिया सनसनी बनकर रह गया।