कोंडागांव जिले के डोंगरीपारा में विश्व पर्यावरण दिवस पर एक अनोखी पहल देखने को मिली। शासकीय प्राथमिक शाला के बच्चों ने ‘एक पेड़ मां के नाम’ कार्यक्रम के तहत स्कूल परिसर में पौधे लगाए। शाला के शिक्षक टी. ऐंकट राव के मार्गदर्शन में बच्चों ने न सिर्फ पौध
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वहीं, जिले में महिला एवं बाल विकास विभाग ने यूनिसेफ और विक्रमशिला एजुकेशन रिसोर्स सोसायटी के सहयोग से एक महत्वपूर्ण पहल की है। विभाग ने “संवेदनशील पालकत्व – परवरिश के चैंपियन” कार्यक्रम के तहत जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में पालक बैठक आयोजित की।

आंगनबाड़ी केंद्र में अभिभावकों को पोषण के बारे में जानकारी दी गई।
आंगनबाड़ी केंद्रों में पालक बैठक
बैठक में 6 माह से बड़े शिशुओं के लिए ऊपरी आहार की आवश्यकता पर जोर दिया गया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने स्थानीय भाषा में समझाया कि इस उम्र के बाद केवल स्तनपान पर्याप्त नहीं होता। उन्होंने घरेलू सामग्री जैसे दाल, चावल, सब्जियां और फलों से पौष्टिक आहार बनाने की विधि बताई।
केंद्रों में ऊपरी आहार की प्रदर्शनी लगाई गई। भोजन चखने की गतिविधियां भी आयोजित की गईं। जिला कार्यक्रम अधिकारी अश्वन बिस्वाल ने कहा कि यह कार्यक्रम बच्चों के स्वास्थ्य और विकास में मददगार साबित होगा।
कार्यक्रम में माता-पिता के अलावा दादा-दादी और परिवार के अन्य सदस्यों ने भी हिस्सा लिया। कई अभिभावकों ने बच्चों की परवरिश के अनुभव साझा किए। उन्होंने इस पहल की सराहना की। कार्यक्रम में भोजन की मात्रा, समय और स्वच्छता पर विशेष जोर दिया गया।

बच्चों ने पेड़ लगाए
विश्व पर्यावरण दिवस पर अनोखी पहल
स्कूल के शिक्षक टी. ऐंकट राव कहा कि अगर हर पेड़ को मां की तरह समझा जाए, तो कोई उसे काटने की हिम्मत नहीं करेगा। कार्यक्रम में बच्चों ने साल के जंगल में जाकर चिपको आंदोलन को याद किया। उन्होंने पेड़ों से चिपककर 1970 के दशक के उस ऐतिहासिक आंदोलन को दोहराया।
जब उत्तराखंड की महिलाओं ने वनों की कटाई रोकने के लिए पेड़ों से चिपककर विरोध किया था। शिक्षक राव ने बच्चों को सुंदरलाल बहुगुणा और गौरा देवी जैसे पर्यावरण नायकों के बारे में भी बताया। इस तरह डोंगरीपारा की छोटी सी पाठशाला में आयोजित कार्यक्रम ने पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया। साथ ही बच्चों को प्रकृति के प्रति संवेदनशील बनने की सीख भी दी।