जिला अस्पताल में नेत्र रोग सर्जन नहीं होने से भटक रहे मरीज

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March 24, 2025


सबसे बड़ी परेशानी मोतियाबिंद के मरीजों को होती है। खासकर गरीब तबके के मरीजों को, क्योंकि आयुष्मान कार्ड से भी मोतियाबिंद आपरेशन केवल सरकारी अस्पताल में होते हैं। निजी अस्पताल में आयुष्मान कार्ड से मोतियाबिंद आपरेशन को हटा दिया गया है। ऐसे में सरकारी अस्पताल में ही इलाज कराना है तो बिलासपुर-रायपुर जाना पड़ेगा या फिर निजी अस्पतालों में महंगी फीस देकर इलाज कराना मजबूर होंगे।

By komal Shukla

Publish Date: Sat, 23 Nov 2024 12:09:45 AM (IST)

Updated Date: Sat, 23 Nov 2024 12:09:45 AM (IST)

जिला अस्पताल में नेत्र रोग सर्जन नहीं होने से भटक रहे मरीज

HighLights

  1. मोतियाबिंद आपरेशन के लिए निजी अस्पतालों का सहारा
  2. डाक्टरों की कमी से आंखों से संबंधित बीमारी का इलाज नहीं
  3. अस्पताल केनेत्र रोग विभाग में एक बार फिर से अंधेरा छा गया है

नईदुनिया न्यूज, जांजगीर-चांपा : जिला अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में अब विजन जांच और चश्मा नंबर जांच बस हो पा रही है। आपरेशन और आंखों से संबंधित बीमारी होने पर मरीजों को रेफर करना मजबूरी हो गई है। अस्पताल प्रबंधन के सामने भी बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। ऐसे में डाक्टर नहीं होने से आंखों से संबंधित बीमारी व मोतियाबिंद आपरेशन के लिए निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है।

जिला अस्पताल के नेत्र रोग विभाग में एक बार फिर से अंधेरा छा गया है। नेत्र सर्जन डा. निशांत पटेल के बाद अब दो साल की बांड अवधि में पदस्थ डा. निकिता खेस की भी सेवा अवधि पूर्ण हो गई। उनके जाने के बाद जिला अस्पताल का आई वार्ड सर्जन विहीन हो गया और आंखों से संबंधित बीमारी के इलाज पर ब्रेक लग गया है। हालांकि डॉ. निकिता खेस को यहां स्थायी रूप से वापस लाने अस्पताल प्रबंधन ने जिला प्रशासन के जरिए शासन को चिट्ठी भी भेज दी है। लेकिन अब यह शासन के हाथ में है कि उनकी नियुक्ति यहां होगी है या नहीं।

क्योंकि इससे पहले जिला अस्पताल में नेत्र सर्जन डा. निशात पटेल को भी दो साल के बांड में यहां आए थे जिनकी सेवा अवधि पूरी होने पर चिट्ठी पत्री भेजी थी। लेकिन वापसी नहीं हुई। ऐसे में जब तक नेत्र सर्जन नहीं आएंगे तब तक जिला अस्पताल के नेत्र विभाग से अंधेरा दूर नहीं हो पाएगा।

जो मरीजों के लिए बड़ी परेशानी की बात है। हालांकि बीडीएम चांपा में मोतियाबिंद आपरेशन की सुविधा है लेकिन उससे बड़ी राहत नहीं मिलेगी। क्योंकि वहां हफ्ते में मात्र एक दिन गुरूवार को आपरेशन हो रहे हैं। उसमें भी डाक्टर कोरबा से आते हैं। बुधवार को ओपीडी में जांच कर मरीजों की भर्ती होती है और दूसरे दिन आपरेशन। बाकी दिन यहां भी आंखों से संबंधित समस्या की जांच नहीं होती। ऐसे में जिला अस्पताल के केस भी बीडीएम भेजने पर वहां और ज्यादा दबाव बढ़ेगा। इसलिए राहत तभी मिलेगी जब जिला अस्पताल में नेत्र सर्जन आएंगे।

नेत्र सर्जन डॉ. निकिता खेस की यहां पदस्थापना के लिए कलेक्टर के माध्यम से शासन को चिट्ठी भेजी गई है। अगर स्वीकृति मिलती है तो यहां स्थायी नेत्र सर्जन मिल जाएगा। मोतियाबिंद के आपरेशन की सुविधा बीडीएम चांपा में भी है। हफ्ते में एक दिन आपरेशन होते हैं इसलिए थोड़ी परेशानी होगी।

डा. एके जगत

सिविल सर्जन

ओपीडी-मोतियाबिंद आपरेशन केस पर एक नजर

माह आपरेशन ओपीडी

फरवरी 19 617

मार्च 29 486

अप्रैल 50 538

मई 56 535

जून 34 522

जुलाई 61 566

अगस्त 18 475

सितंबर 10 470

अक्टूबर 43 558



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