आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्ग के प्रतिभाशाली विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता दिलाने के उद्देश्य से अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी-कर्मचारियों के संगठन अजाक्स की ओर से संचालित डा. भीमराव आंबेडकर ज्ञान केंद्र ने सराहनीय पहल की है।
By Manoj Kumar Tiwari
Publish Date: Mon, 18 Nov 2024 11:10:02 AM (IST)
Updated Date: Mon, 18 Nov 2024 12:16:18 PM (IST)

HighLights
- संगठन अजाक्स की ओर से संचालित डा. भीमराव आंबेडकर ज्ञान केंद्र ने सराहनीय पहल ।
- छात्रों के लिए एक सुनहरा अवसर है, जो गरीबी के कारण अपने सपनों को पूरा करने में असमर्थ।
- प्रवेश के लिए जाति प्रमाणपत्र, गरीबी रेखा प्रमाणपत्र और ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र अनिवार्य ।
नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। शहर के मगरपारा स्थित अभियंता भवन में शुरू की गई इस निशुल्क कोचिंग सुविधा के माध्यम से सीजीपीएससी और व्यापम की प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करवाई जा रही है। यह पहल उन विद्यार्थियों को सशक्त बनाने का प्रयास है, जो महंगी कोचिंग का खर्च नहीं उठा सकते। स्क्रीनिंग टेस्ट और साक्षात्कार के आधार पर चयनित 45 होनहार विद्यार्थियों को अनुभवी शिक्षकों द्वारा विशेष मार्गदर्शन दिया जा रहा है।
विद्यार्थियों के लिए वरदान
डा. भीमराव आंबेडकर ज्ञान केंद्र की यह पहल उन विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित हो रही है, जो अपनी कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण उच्चस्तरीय परीक्षाओं की तैयारी से वंचित रह जाते हैं। इस निशुल्क कोचिंग का संचालन अजाक्स के प्रांताध्यक्ष डा. लक्ष्मण भारती और प्रांतीय संगठन सचिव जितेंद्र कुमार पाटले के नेतृत्व में जागरूक अधिकारियों और कर्मचारियों के सहयोग से किया जा रहा है। इस कोचिंग का उद्देश्य समाज के होनहार विद्यार्थियों को उनकी प्रतिभा के अनुरूप आगे बढ़ने के लिए सक्षम बनाना है।
प्रदेशभर में फैल रही कोचिंग की अलख
बिलासपुर में सफलतापूर्वक शुरुआत के बाद अजाक्स की योजना इस निशुल्क कोचिंग सुविधा का विस्तार प्रदेश के अन्य जिलों में भी करने की है। गौरेला-पेंड्रा-मरवाही में सफलता के बाद अब मुंगेली, जांजगीर-चांपा, रायपुर, कोरबा और अन्य जिलों में इस योजना को लागू करने की दिशा में काम किया जा रहा है। यह पहल उन छात्रों के लिए एक सुनहरा अवसर है, जो गरीबी के कारण अपने सपनों को पूरा करने में असमर्थ थे।
सभी वर्ग से आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों का चयन
इस निशुल्क कोचिंग में केवल आर्थिक रूप से कमजोर और वंचित वर्ग के विद्यार्थियों को ही प्रवेश दिया जा रहा है। इसमें सामान्य (ईडब्लूएस), ओबीसी, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के प्रतिभाशाली छात्र-छात्राएं शामिल हैं। प्रवेश के लिए जाति प्रमाणपत्र, गरीबी रेखा प्रमाणपत्र और ईडब्ल्यूएस प्रमाणपत्र अनिवार्य है।
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कर्मवीर शिक्षक सम्मान समारोह में किया गया शिक्षकों का सम्मान
छत्तीसगढ़ के कर्मवीर शिक्षकों को समर्पित राज्य स्तरीय कर्मवीर शिक्षक सम्मान समारोह 2024 का आयोजन सरस्वती शिशु मंदिर के सभागार में किया गया। इस भव्य कार्यक्रम का आयोजन आनंद सागर सेवा प्रवाह संस्था ने किया, जिसमें राज्य भर के शिक्षकों और समाज कल्याण क्षेत्र में समर्पित व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। समारोह में 100 शिक्षकों को कर्मवीर सम्मान से नवाजा गया। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना और अतिथियों के स्वागत से हुआ।
मुख्य अतिथि के रूप में अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य अरुण दिवाकर नाथ बाजपेई ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति की बाल-केंद्रित विशेषताओं और शिक्षकों के महत्व पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. विनय कुमार पाठक ने कर्मवीर शिक्षकों के योगदान को सराहा। विशिष्ट अतिथियों ने भी शिक्षा और समाज सेवा में उत्कृष्ट योगदान देने वाले शिक्षकों की भूमिका की प्रशंसा की।
100 शिक्षकों को मिला कर्मवीर सम्मान
सम्मान समारोह में दुर्ग, भिलाई, रायपुर, सुकमा, कबीरधाम जैसे विभिन्न जिलों से आए शिक्षकों को शाल, श्रीफल, मोमेंटो, बैग और सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मंच संचालन अनिल श्रीवास ने कुशलतापूर्वक किया, जबकि आभार प्रदर्शन पंडित बाबूलाल पंड्या ने किया।
संस्कृति और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर जोर
आनंद सागर सेवा प्रवाह की संस्थापक डॉ. सुषमा पंड्या ने शिक्षकों से नई पीढ़ी को भारतीय संस्कृति से जोड़ने और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने का आह्वान किया। संस्था ने अपने भविष्य के लक्ष्यों में नई शिक्षा नीति के साथ ग्रामीण बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम करने की योजना प्रस्तुत की।
सांस्कृतिक कार्यक्रम और भव्य आयोजन
सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रभारी सुमित दास गुप्ता ने शानदार सांस्कृतिक प्रस्तुतियों से समारोह में चार चांद लगा दिए। आयोजन में संस्था के संरक्षक कविता शर्मा, उपाध्यक्ष सुनीता दास गुप्ता, सचिव सीमा शुक्ला सहित अन्य सदस्यों का सहयोग महत्वपूर्ण रहा। पूरे कार्यक्रम का समापन सात्विक भोजन और बच्चों के विशेष कार्यक्रम के साथ हुआ, जिसने इसे यादगार बना दिया।