Civil Defense District: छत्तीसगढ़ सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद सिविल डिफेंस को मजबूत करने की दिशा में काम शुरू किया है। राज्य के नौ शहरों को ‘सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट’ घोषित करने की तैयारी है, जिनमें रायपुर, कोरबा और बिलासपुर जैसे जिले शामिल हैं। इन जिलों में लगभग 2,700 वालेंटियर तैयार किए जाएंगे, जिन्हें आपातकालीन स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया देने के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
By Prashant Pandey
Publish Date: Wed, 14 May 2025 10:07:21 AM (IST)
Updated Date: Wed, 14 May 2025 10:11:47 AM (IST)

HighLights
- नौ जिलों को ‘सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट’ घोषित करने की तैयारी, वालेंटियर होंगे तैयार।
- हर जिले से 300 वालंटियरों का चयन, दो दिवसीय विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।
- केंद्र सरकार ने सभी 33 जिलों में चेतावनी सायरन लगाने का निर्देश भी दिया है।
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया, रायपुर। आतंकवाद के खिलाफ देश में चल रहे ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने भी सिविल डिफेंस को मजबूत करने की दिशा में काम शुरू किया है। प्रदेश के राज्य के नौ शहरों को ‘सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट’ घोषित करने की तैयारी है।
इन जिलों में रायपुर, कोरबा, रायगढ़, बिलासपुर, जगदलपुर, अंबिकापुर, जांजगीर-चांपा, धमतरी और दंतेवाड़ा शामिल हैं। दुर्ग-भिलाई में प्रारंभिक क्रियान्वयन के बाद अब अन्य जिलों में लगभग 2,700 वालेंटियर तैयार किए जाएंगे।
पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों के अनुसार हाल ही में गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज पिंगुआ की अध्यक्षता में हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में डीजीपी अरुणदेव गौतम, होम गार्ड्स और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।
नीति के अनुसार हर जिले से 300 वालंटियरों का चयन कर उन्हें दो दिवसीय विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, जिससे वे आपातकालीन या युद्ध जैसी परिस्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया दे सकें। यह प्रशिक्षण हर वर्ष दोहराया जाएगा और सभी वालंटियरों के रिकॉर्ड को नियमित रूप से अपडेट किया जाएगा।
इसके तहत हो रही प्रक्रिया
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यह पहल सिविल डिफेंस एक्ट, 1968 के तहत की जा रही है, जिसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर के तहत भी मान्यता प्राप्त है। वर्ष 2009 में इस अधिनियम के दायरे को बढ़ाकर आपदा प्रबंधन को भी शामिल किया गया था। प्रारंभ में सिविल डिफेंस की गतिविधियां केवल भिलाई तक सीमित थीं, लेकिन बाद में पूरे दुर्ग जिले को इसमें शामिल किया गया।
ये होगा जरूरी
सभी वालंटियरों को माक ड्रिल और वार्षिक रिव्यू प्रक्रिया में भी भाग लेना अनिवार्य होगा। जिला कलेक्टरों को इस अभियान के संचालन, भर्ती और तैयारियों की निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने सभी 33 जिलों में चेतावनी सायरन लगाने का निर्देश दिया है।
हर जिले को चार से पांच सायरन यूनिट प्राप्त होंगी, जिन्हें एसडीआरएफ के माध्यम से संचालित किया जाएगा। इनका उपयोग आपातकालीन स्थितियों में तेज़ और प्रभावी संचार के लिए किया जाएगा।
ये जिले पहले ही ‘डिजास्टर मित्र’ के रूप में चयनित
इससे पहले राज्य सरकार ने रायपुर, कोरबा, राजनांदगांव और सुकमा को ‘डिजास्टर मित्र’ पायलट ज़िले के रूप में चयनित किया था, जहां 1,200 वालंटियरों को प्रशिक्षण दिया गया। अब सरकार इन डिजास्टर मित्रों के लिए हर साल प्री-मानसून सत्र आयोजित करेगी, जिसमें स्किल रिफ्रेशर और आपदा प्रतिक्रिया रणनीति पर प्रशिक्षण दिया जाएगा।
क्या होता है ‘सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट’
‘सिविल डिफेंस डिस्ट्रिक्ट’ में ऐसे विशेष जिले होते हैं जो आपातकालीन परिस्थितियों में प्रशासनिक संचालन, हवाई हमले की चेतावनी, ब्लैकआउट अभ्यास, और नागरिकों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने जैसे कार्यों के लिए जिम्मेदार होते हैं।
इन जिलों में नागरिकों, छात्रों, वालंटियरों और सुरक्षाबलों को प्रशिक्षित किया जाता है। इन्हें माक ड्रिल के दौरान हवाई हमले का सायरन, ब्लैकआउट, और रेस्क्यू आपरेशन जैसे हालातों का अभ्यास कराया जाता है। इसका उद्देश्य आम लोगों में सजगता बढ़ाना और किसी आपात स्थिति में व्यवस्थित प्रतिक्रिया की क्षमता विकसित करना है।