रायपुर नगर निगम के डाटा के अनुसार ही 93 हजार संपत्तियां ऐसी हैं, जो रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाने के दायरे में आती हैं। बड़ी बात तो यह है कि नगर निगम में नक्शा पास कराने के वक्त इसके लिए डिपाजिट मनी जमा कराई जाती है। पैसे जमा करने के बावजूद लोग न तो सिस्टम लगवाते हैं और न राशि वापस लेने आते हैं।
By Shashank Shekhar Bajpai
Publish Date: Wed, 02 Apr 2025 11:59:25 AM (IST)
Updated Date: Wed, 02 Apr 2025 11:59:25 AM (IST)

HighLights
- रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए 15 हजार रुपए डिपाजिट लेने का प्रविधान।
- रायपुर में 93 हजार संपत्तियां ऐसी जहां होना ही चाहिए आरडब्ल्यूएच।
- 800 से एक हजार फीट की गहराई में में पहुंच चुका है पानी का लेवल।
सौरभ मिश्रा, रायपुर। राजधानी का भू-जल स्तर लगातार गिर रहा है। शहर के बड़े-बड़े भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग (आरडब्ल्यूएच) लगाना अनिवार्य है। मगर, सरकार के आदेश के बाद भी अब तक शहर में सिर्फ 30 प्रतिशत भवनों व कॉलोनियों में ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लग पाया है।
150 वर्ग मीटर या उससे अधिक के सभी भवनों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगा होना चाहिए। मगर, निगम के डाटा के अनुसार ही 93 हजार संपत्तियां ऐसी हैं, जो इस दायरे में आती हैं। इनमें सिर्फ 30 प्रतिशत संपत्तियों में रेनवाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम मौजूद है।
बड़ी बात तो यह है कि नगर निगम में नक्शा पास कराने के वक्त रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए डिपाजिट मनी जमा कराई जाती है। इसके लिए अधिकतम 15 हजार रुपये लिए जाने का प्राविधान है। लोग यह राशि तो जमा करा देते हैं। मगर, न तो रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगवाते हैं और न ही जमा राशि वापस लेने आते हैं।
हजार फीट नीचे पहुंचा भूजल स्तर
नगर निगम क्षेत्र में लगातार जलस्तर गिर रहा है। जल संरक्षण विशेषज्ञों की मानें तो कुछ साल पहले तक राजधानी में 300 से 400 फीट नीचे पानी मिल जाता था। मगर, आज 800 से 1000 फीट नीचे तक पानी नहीं मिल रहा है। देवपुरी क्षेत्र में 300 फीट पानी मिल जाता था, लेकिन अब लगभग 800 फीट नीचे पानी चला गया है।
इसी तरह कचना इलाके की बात की जाए, तो वहां पहले लगभग 400 फीट नीचे पानी था, लेकिन अब लगभग 700 से 800 फीट नीचे पानी चला गया है। भनपुरी क्षेत्र में भी पहले 300 से 400 फीट नीचे पानी मिलता था, लेकिन आज 800 से 1,000 फीट नीचे पानी चला गया है।
हर वर्ष 50 फीट से अधिक गिर रहा जल स्तर
राजधानी में हर वर्ष 50 फीट से अधिक जल स्तर गिर रहा है। यह स्थिति पिछले कुछ वर्षों से बनी हुई है। विशेषज्ञों के अनुसार इस स्थिति की मुख्य वजह रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का न होना है। लगातार शहर बढ़ रहा है।
कांक्रीटीकरण से जमीन में जल बेहद कम मात्रा में पहुंच रहा है। वहीं, जमीन के नीचे से लगातार पानी निकालने की प्रक्रिया चल रही है। दलदल सिवनी, खमतराई, उरला, भनपुरी, न्यू राजेंद्र नगर, फाफाडीह ये रायपुर शहर के आसपास के क्षेत्र है, जहां हर साल भू-जल स्तर नीचे गिरा है।
इसके अलावा कुछ ऐसे क्षेत्र भी हैं जहां भूजल स्तर वर्तमान में कुछ हद तक ठीक है. उनमें खारून नदी के आसपास के क्षेत्र शामिल हैं। चांगोरभाटा, सुंदर नगर, लाखे नगर, संतोषी नगर, विनायक विहार और सरोना यह वह क्षेत्र है, जहां भू-जलस्तर काफी हद तक ठीक है।
रिंग रोड से लगी कॉलोनियों में 800 फीट में पानी
शहर के ब्राह्मणपारा, सदर बाजार सहित आसपास के क्षेत्र में जल स्तर की स्थिति सामान्य है, लेकिन लेकिन हाल ही में रिंग रोड के आसपास बनी कॉलोनियों में पहले जहां सामान्य रूप से 400 फीट नीचे पानी था। वहीं अब 800 फीट नीचे तक पहुंच गया है।
लगातार प्रयास के बाद बन पाए 850 सिस्टम
नगर निगम द्वारा पिछले वर्ष जहां रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं था, वहां बनाने के लिए लगातार कार्रवाई की गई थी। बावजूद इसके सिर्फ 850 हार्वेस्टिंग सिस्टम ही शहर के बिल्डरों के साथ मिलकर बनवाए जा सके।
तत्कालीन निगम आयुक्त ने पांच हजार का आंकड़ा तय किया था, जिसके लिए उन्होंने लगातार नोटिस जारी कराने के साथ कई कर्मचारियों की इसके लिए ड्यूटी लगा रखी थी, जो बिल्डरों के सहयोग से पाइल पिट सिस्टम बनवा रहे थे।