छत्तीसगढ़ उन चुनिंदा राज्यों में है, जहां शैक्षणिक संस्थाओं का शुल्क तय करने और उसे नियंत्रित रखने के लिए फीस विनियमन अधिनियम कानून 2020 लागू है। इस एक्ट के तहत विभिन्न शैक्षणिक संस्थाओं सहित निजी स्कूलों को नियमों के दायरे में लाया गया है।
By Shashank Shekhar Bajpai
Publish Date: Wed, 26 Mar 2025 11:18:06 AM (IST)
Updated Date: Wed, 26 Mar 2025 11:18:06 AM (IST)

HighLights
- स्कूल शिक्षा विभाग के पोर्टल में निजी स्कूलों को देनी होती है जानकारी।
- मगर, यह पोर्टल बंद है। शासन-प्रशासन सिर्फ व्यवस्था बनाकर भूल गए हैं।
- अफसरों ने फीस विनियमन अधिनियम को केवल कागजों में जिंदा रखा है।
वाकेश साहू, रायपुर। एक अप्रैल से नया शैक्षणिक सत्र शुरू हो रहा है। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा पोर्टल में निजी स्कूलों से विभिन्न मद में ली जा रही फीस संरचना को अपलोड करना था, लेकिन सिस्टम ऐसा है कि अफसरों ने फीस विनियमन अधिनियम को केवल कागजों में जिंदा रखा है। पोर्टल बंद है।
जिम्मेदारों ने ही इस सिस्टम को नष्ट कर हर साल की तरह अभिभावकों को लूटने की तैयारी कर ली है। निजी स्कूल के संचालक भी अफसरों की खामोशी का फायदा उठाने में पीछे नहीं हैं। वे कितनी फीस लेंगे इसकी जानकारी भी नहीं दे रहे हैं और मनमर्जी से हर साल फीस में बढ़ोतरी करने की तैयारी में हैं।
फीस विनियमन अधिनियम का नहीं हो रहा पालन
छत्तीसगढ़ में लागू फीस विनियमन अधिनियम कानून 2020 के तहत हर जिले में फीस रेगुलेशन समिति गठित की जानी है। निजी स्कूल नए सत्र में फीस में आठ प्रतिशत तक ही वृद्धि कर सकते हैं। इससे अधिक की वृद्धि के लिए उसे अपने आय-व्यय का हिसाब प्रस्तुत कर अनुमति लेनी होगी।
मगर, प्रदेश में इसका पालन नहीं हो रहा है। यहां न तो फीस संरचना ट्रांसपेरेंट हो सकी है न ही कमेटी से अनुमति लेने की व्यवस्था काम कर रही है। शासन-प्रशासन सिर्फ व्यवस्था बनाकर भूल गए हैं।
रायपुर में कमेटी का अता-पता ही नहीं
प्रत्येक जिले में जिला फीस विनियामक समिति गठित होनी है। समिति का अध्यक्ष कलेक्टर, सचिव जिला शिक्षा अधिकारी समेत एक शिक्षाविद्, कानूनविद् और अभिभावक को शामिल किया जाना है।
मगर, रायपुर जिले में समिति का कोई अता-पता नहीं है। अफसर भी बोल रहे हैं कि समिति की अभी तक कोई मीटिंग नहीं हुई है।
शिकायत का नहीं हो रहा है समाधान
फीस को लेकर कई अभिभावक शिक्षा विभाग में लिखित शिकायत करते हैं। मगर, इन शिकायतों का कभी समाधान नहीं हो पाता है। पालक संघ का कहना है कि हर साल प्रदेश के बड़े जिलों में 10 से 20 शिकायतें होती हैं।
इन शिकायत पत्रों का कभी भी समाधान नहीं होता है। वहीं, रायपुर जिले में पिछले या वर्तमान में कितनी शिकायतें हुई हैं, उसको लेकर अधिकारी भी जवाब नहीं दे पा रहे हैं।
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जिम्मेदार के पास जवाब नहीं
फीस अधिनियम को लेकर जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) डॉ. विजय खंडेलवाल ने चुप्पी साध ली है। जिले में समिति गठित है या नहीं, इसकी जानकारी देने में वह असमर्थ हैं।
फीस निर्धारण समिति की एक बार भी बैठक नहीं हुई है। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी को निर्देशित करता हूं। – डॉ. गौरव सिंह, कलेक्टर, रायपुर
8 फीसदी फीस बढ़ा सकते हैं स्कूल
वरिष्ठ शिक्षाविद डॉ. जवाहर सुरीसेट्टी ने बताया कि प्रदेश में फीस अधिनियम एक्ट लागू है। जहां तक सवाल फीस बढा़ने का है, तो हर साल निजी स्कूल आठ प्रतिशत फीस बढ़ोतरी कर सकते हैं। आठ प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी पर डीईओ को सूचित करना होता है। फिर समिति के सदस्य बैठक कर संबंधित स्कूल का निरीक्षण कर निर्णय लेते।