रायपुर में एक बहरूपिये को डायल 112 की टीम ने पकड़ा है, जो पुलिस की वर्दी पहनकर लोगों से रुपये मांग रहा था। आरोपी ने पुलिस की वर्दी पहन रखी थी और कमर में पिस्टल केस भी टंगा था। वह बिल्कुल असली पुलिसकर्मी लग रहा था।
By Prashant Pandey
Publish Date: Fri, 04 Apr 2025 02:46:29 PM (IST)
Updated Date: Fri, 04 Apr 2025 03:50:36 PM (IST)

HighLights
- रायपुर में बहरूपिये ने पुलिस की वर्दी पहनकर की धोखाधड़ी।
- डायल 112 की टीम ने आरोपी को किया गिरफ्तार, पूछताछ जारी।
- बहरूपिया बोला- जीवनयापन के लिए वर्दी पहन मांगता था रुपये।
नईदुनिया प्रतिनिधि, रायपुर(Raipur Fake Policeman)। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के देवेंद्र नगर इलाके में पुलिस की वर्दी पहनकर लोगों से रुपये मांग रहे एक बहरूपिए को डायल 112 की टीम ने पकड़ा है। पकड़े गए आरोपी ने पुलिस की वर्दी पहन रखी थी, कंधे पर दो स्टार लगाए थे और कमर में पिस्टल केस भी टंगा था।
देखने में वह बिल्कुल असली पुलिसकर्मी लग रहा था। लेकिन जब डायल 112 के स्टाफ को उसकी हरकतों पर शक हुआ और पूछताछ शुरू की, तो मामला खुलकर सामने आ गया।
पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह कोई अपराधी नहीं, बल्कि एक बहरूपिया है। जीवनयापन के लिए पुलिस की वर्दी पहनकर लोगों से रुपये मांगता है।
देवेंद्र नगर पुलिस कर रही जांच
फिलहाल, देवेंद्र नगर थाना पुलिस आरोपी से पूछताछ कर रही है कि क्या उसने पहले भी इस तरह की वर्दी का इस्तेमाल किया है और कहीं किसी अपराध में तो शामिल नहीं रहा। उससे इस बात की भी जानकारी ली जा रही है कि वो यह वर्दी और स्टार कहां से लाया था।
इधर… लोन दिलाने के नाम पर ठगी, चार आरोपियों पर मामला दर्ज
रायपुर में लोन दिलाने के नाम पर करोड़ों की ठगी का मामला सामने आया है। छोटापारा स्थित आरबी ग्रुप स्पर्श एडवायजरी के संचालक और कर्मचारियों पर एक करोड़ तीन लाख से ज्यादा की धोखाधड़ी का आरोप लगा है। पुलिस ने अभय गुप्ता, रागिफ हुसैन, मनोज प्रधान और सुरेंद्र सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
शिकायतकर्ता त्रिभुवन सिंह (निवासी अनुपम गार्डन, जीई रोड) ने कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराई कि उसने आरबी ग्रुप स्पर्श एडवायजरी से लोन लेने के लिए संपर्क किया था। कंपनी के संचालक अभय गुप्ता, रागिफ हुसैन, मनोज प्रधान और सुरेंद्र सिंह ने लोन दिलाने का भरोसा दिया और कागजी कार्रवाई पूरी करवाई।
लोन स्वीकृत होने के बाद इन आरोपियों ने पांच बैंकों से लोन लेकर केवल आधी राशि त्रिभुवन को दी, जबकि बाकी 1,03,08,196 रुपये खुद के खातों में ट्रांसफर कर लिए। जांच में पता चला कि इसी तरह आरोपियों ने चंद्रकांत कन्नौजे, ओम प्रकाश रात्रे और कैलाश कन्नौजे के नाम पर भी लोन लिया और आधी रकम देकर बाकी रकम खुद हड़प कर ली।