Polavaram Dam Controversy: पोलावरम परियोजना को लेकर पिछले लंबे समय से छत्तीसगढ़, उड़िसा, आध्रंप्रदेश और तेलंगाना के मध्य विवाद की स्थिति बनी हुई है। इस परियोजना से छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले का एक बड़ा भू-भाग प्रभावित होगा। परियोजना से हजारों की संख्या में दोरला आदिवासियों के बसाहट क्षेत्र पर असर होगा। इसके समाधान को लेकर प्रधानमंत्री मोदी आज सभी मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे।
By Roman Tiwari
Edited By: Roman Tiwari
Publish Date: Wed, 28 May 2025 08:00:06 AM (IST)
Updated Date: Wed, 28 May 2025 09:03:53 AM (IST)

HighLights
- पोलावरम बांध विवाद को लेकर आज पीएम मोदी की बैठक
- परियोजना से प्रदेश के हजारों आदिवासी बसाहट को संकट
- आईआईटी खड़गपुर को सौंपी गई अध्ययन की जिम्मेदारी
राज्य ब्यूरो, नईदुनिया,रायपुर (Polavaram Dam Controversy): गोदावरी नदी पर छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश की सीमा पर बन रहे पोलावरम बांध का प्रभाव प्रदेश के व्यापक क्षेत्र पर पड़ेगा। इसका सर्वाधित असर सुकमा जिले में पड़ेगा। यहां कोंटा सहित 9 गांव में बसर करने वाले हजारों दोरला आदिवासियों की बसाहट उजड़ने का संकट है।
इस विवाद को सुलझाने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में 28 मई को दोपहर 3:30 बजे दिल्ली में बैठक होगी। सूत्रों के अनुसार इस बैठक में छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्री शामिल होंगे।
चार वर्ष पहले किए गए सर्वे में बताया गया था कि यदि बांध का एफआरएल (फुल रिजर्व लेवल) 150 फीट रखा जाए तो सुकमा के नौ गांवों की 1390.18 हेक्टेयर भूमि, 282 मकान और 1500 लोगों की आबादी प्रभावित होगी। यदि स्तर 177 फीट तक रखा गया तो 12 गांवों की 2704.78 हेक्टेयर भूमि, 2519 मकान और करीब 14,000 लोग प्रभावित होंगे।
समाधान की उम्मीद, पीएम करेंगे चर्चा
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के नेतृत्व में केंद्र में तीसरी बार सरकार बनने और छत्तीसगढ़, ओडिशा व आंध्रप्रदेश में भाजपा व टीडीपी की सरकार आने के बाद इस दिशा में प्रयास तेज होने की उम्मीद थी। पहली बार प्रधानमंत्री स्वयं चारों राज्यों के मुख्यमंत्रियों से इस संवेदनशील मुद्दे पर सीधे चर्चा करेंगे।
इन इलाकों पर बैक वॉटर का असर
बता दें कि, पोलावरम परियोजना अपने अंतिम चरण में है। बांध में एक निर्धारित स्तर तक जलभराव की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। मानसून के दौरान गोदावरी में आई बाढ़ की स्थिति निमित हो जाती है। इस दौरान गोदावरी का बैक वॉटर छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के कोंटा क्षेत्र, ओडिशा के मलकानगिरी जिले डुबान में आ जाते हैं। इसके अलावा सबरी व सिलेरू नदी के तटीय इलाकों में डूबान की स्थिति पैदा हो जाती है।
राजमार्ग-30 हो जाता है बाधित
तीन वर्षों से लगातार सुकमा जिले के कई गांव प्रभावित हो रहे हैं। साथ ही, राष्ट्रीय राजमार्ग-30 भी सबरी नदी में बाढ़ के कारण बाधित हो जाता है। पूर्व में विभिन्न दलों की सरकारों के कारण इन राज्यों के बीच टकराव की स्थिति रही है, लेकिन अब राजनीतिक समीकरणों के बदले हालात सुधरने की संभावना है।
आईआईटी खड़गपुर को अध्ययन का जिम्मा
छत्तीसगढ़ सरकार ने सुकमा जिले में बैक वाटर प्रभाव का अध्ययन करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) खड़गपुर को जिम्मा सौंपा है। इसकी रिपोर्ट अगले महीने आने की उम्मीद है। वहीं अब देखना होगा कि 28 मई की बैठक में इन चारों राज्यों के बीच समाधान की दिशा में क्या ठोस निर्णय निकलता है।
डुबान क्षेत्र को लेकर विरोध
सुप्रीम कोर्ट के छह सितंबर 2022 के आदेश के बाद केंद्रीय जल आयोग द्वारा सात अक्टूबर 2022 को बुलाई गई बैठक में छत्तीसगढ़ और ओडिशा ने पांच प्रमुख बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज की। छत्तीसगढ़ का कहना था कि जब तक बैक वाटर से संभावित डुबान क्षेत्र का स्पष्ट चयन नहीं होता, तब तक जमीन डूबान में नहीं दी जाएगी। इसके चलते अभी तक जनसुनवाई भी नहीं हो पाई है।