बस्तर की दिव्यांग बेटी आर्चिशा महांती की ‘अमेजन’ उड़ान, संघर्षों को पार कर बनीं प्रेरणा की मिसाल

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April 16, 2025


Archisha Mahanti: मस्कुलर डिस्ट्रोफी नामक गंभीर बीमारी से नौंवी कक्षा से जूझ रही आर्चिशा ने कभी हार नहीं मानी और सफलता की नई ऊंचाइयों को छूती रहीं। उन्होंने बीएम में गोल्ड मेडल हासिल करने के बाद आईआईएम रायपुर से एमबीए किया और अमेजन कंपनी में अच्छा पैकेज भी हासिल किया है।

By Shashank Shekhar Bajpai

Publish Date: Wed, 16 Apr 2025 02:45:50 PM (IST)

Updated Date: Wed, 16 Apr 2025 03:02:25 PM (IST)

बस्तर की दिव्यांग बेटी आर्चिशा महांती की ‘अमेजन’ उड़ान, संघर्षों को पार कर बनीं प्रेरणा की मिसाल
आईआईएम के समारोह में आर्चिशा महांती (व्हीलचेयर पर) को लेटर ऑफ एप्रिसिएशन मेडल से सम्मानित करतीं मुख्य अतिथि प्रभा नरसिम्हन, प्रो. राम कुमार काकानी (मध्य में), पुनीत डालमिया (बाएं से पहले) पिता सुकांत कुमार महांती (दाएं से पहले)।

HighLights

  1. आईआईएम के दीक्षा समारोह में लेटर आफ एप्रिसिएशन से हुईं सम्मानित।
  2. नौंवी में मस्कुलर डिस्ट्रोफी से पीड़ित होने के बाद बीए में गोल्ड मेडल मिला।
  3. अमेजन कंपनी में 33 लाख रुपये के आकर्षक पैकेज पर नौकरी मिली है।

मनीष मिश्रा, रायपुर। Bastar Inspirational Girl Archisha Mahanti: आईआईएम रायपुर के 14वें दीक्षा समारोह (IIM Raipur convocation) के दौरान एक विशेष क्षण आया। बस्तर की बेटी आर्चिशा महांती (Archisha Mahanti) को उनके असाधारण दृढ़ संकल्प और शैक्षणिक उत्कृष्टता के लिए लेटर ऑफ एप्रिसिएशन से सम्मानित किया गया।

पूरा सभागार तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा, क्योंकि आर्चिशा ने अपनी ‘अमेजन’ उड़ान को साकार किया है। मस्कुलर डिस्ट्रोफी नामक गंभीर बीमारी से नौंवी कक्षा से जूझ रही आर्चिशा ने कभी हार नहीं मानी और सफलता की नई ऊंचाइयों को छूती रहीं।

उन्होंने बीएससी की पढ़ाई बीच में छोड़कर बीए किया और अब उन्हें प्रतिष्ठित अमेजन कंपनी में 33 लाख रुपये के आकर्षक पैकेज पर नौकरी मिली है। अपनी प्रेरणादायक यात्रा साझा करते हुए आर्चिशा ने बताया कि उनका बचपन सामान्य बच्चों की तरह ही बीता।

संघर्ष और प्रेरणा की कहानी है यह

आर्चिशा ने बताया कि जैसे-जैसे वह बड़ी हुईं, उन्हें चलने-फिरने में दिक्कत होने लगी और शरीर में कमजोरी महसूस होने लगी। आठवीं कक्षा के बाद मस्कुलर डिस्ट्रोफी का पता चला। दीक्षा समारोह में जब आर्चिशा मंच पर मेडल लेने पहुंचीं, तो दर्शक दीर्घा में बैठे सभी लोग खड़े होकर उनके संघर्ष और जज्बे को सलाम करते हुए तालियां बजाने लगे।

आर्चिशा ने आगे बताया कि नौंवी कक्षा से उनकी मुश्किलें बढ़ने लगी थीं। मगर, उन्होंने जैसे-तैसे दसवीं तक की पढ़ाई पूरी की और बोर्ड परीक्षा में 86% अंक प्राप्त किए। 11वीं कक्षा में उन्हें सीढ़ियां चढ़ने में भी परेशानी होने लगी, जिसके बाद स्कूल प्रबंधन ने उनके लिए नीचे कक्षा लगवाई।

बीएससी छोड़ा, बीए में हासिल किया गोल्ड मेडल

तमाम मुश्किलों के बावजूद अपने माता-पिता के अटूट सहयोग से उन्होंने हार नहीं मानी और 12वीं बोर्ड की परीक्षा 72 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण की। कॉलेज में विज्ञान स्ट्रीम में दाखिला लेने के बाद उन्हें प्रैक्टिकल परीक्षाओं में दिक्कत आई।

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इस वजह से उन्होंने बीएससी छोड़कर बीए में प्रवेश लिया और घर पर रहकर पढ़ाई करने लगीं। बीए में उन्होंने बस्तर विवि में गोल्ड मेडल हासिल किया।

दो साल पापा के साथ गईं कॉलेज

आईआईएम में प्रवेश के दौरान ही आर्चिशा के पिता सुकांत कुमार महांती खाद्य निरीक्षक के पद से और मां बैजयंती माला महांती सहकारी बैंक से शाखा प्रबंधक के पद से सेवानिवृत्त हुई थीं। माता-पिता ने बेटी की पढ़ाई के लिए जगदलपुर से रायपुर शिफ्ट होने का फैसला किया।

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उनके पिता रोजाना सुबह उन्हें कॉलेज ले जाते थे और पूरे दिन वहीं रहते थे। पहले साल की पढ़ाई के बाद आर्चिशा ने समर इंटर्नशिप के लिए इंटरव्यू दिया और उनका चयन अमेजन में हो गया।



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