नान घोटाले से जुड़े आरोपियों को जमानत दिलाने एवं साक्ष्य को छिपाने की साजिश के मामले में चार नवंबर 2024 को ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की थी। इस एफआईआर में अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला और सतीश चंद्र वर्मा को नामजद आरोपी बनाया गया था। हालांकि, सतीश चंद्र वर्मा और आलोक शुक्ला को बाद में जमानत मिल गई थी।
By Navodit Saktawat
Publish Date: Fri, 18 Apr 2025 10:52:44 PM (IST)
Updated Date: Fri, 18 Apr 2025 11:20:52 PM (IST)

HighLights
- यह एफआईआर एसीबी की पूर्व में दर्ज रिपोर्ट के आधार पर की गई है।
- पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा के सिविल लाइन निवास पर दबिश दी।
- इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य और महत्वपूर्ण दस्तावेजों को जब्त किया गया है।
रायपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। राज्य के बहुचर्चित नान (छत्तीसगढ़ राज्य नागरिक आपूर्ति निगम) घोटाले में सीबीआई ने बड़ी कार्रवाई करते हुए वाट्सएप चैटिंग प्रकरण की जांच के लिए एफआईआर दर्ज कर ली है। यह एफआईआर एसीबी की पूर्व में दर्ज रिपोर्ट के आधार पर की गई है। जांच के सिलसिले में शुक्रवार सीबीआई ने पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा के सिविल लाइन स्थित निवास पर दबिश दी। इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य और महत्वपूर्ण दस्तावेजों को जब्त किया गया है।
एफआईआर में दर्ज आरोपों के अनुसार, यह मामला आपराधिक षड्यंत्र, लोकसेवक द्वारा रिश्वत लेना, निजी व्यक्ति द्वारा लोकसेवक को रिश्वत देना, आपराधिक कदाचार, झूठे साक्ष्य गढ़ना, साक्ष्य छिपाना तथा जांच को प्रभावित करने की कोशिश से जुड़ा हुआ है।
बता दें कि नान घोटाले से जुड़े आरोपियों को जमानत दिलाने एवं साक्ष्य को छिपाने की साजिश के मामले में चार नवंबर 2024 को ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की थी। इस एफआईआर में अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला और सतीश चंद्र वर्मा को नामजद आरोपी बनाया गया था। हालांकि, सतीश चंद्र वर्मा और आलोक शुक्ला को बाद में जमानत मिल गई थी।
ईडी ने सीबीआई को सौंपे दस्तावेज
ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने मामले की गंभीरता को देखते हुए सीबीआई को दस्तावेजी साक्ष्य सौंपे हैं। ईडी ने एसीबी को सूचित किया था कि अनिल टुटेजा और आलोक शुक्ला ने न केवल जांच को प्रभावित करने की कोशिश की, बल्कि आयकर विभाग द्वारा जुटाए गए डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर ईडी की कार्रवाई में भी बाधा उत्पन्न की।
जल्द हो सकती है बड़ी कार्रवाई
सूत्रों के अनुसार, सीबीआई की कार्रवाई अब और तेज हो सकती है। अनिल टुटेजा के निवास पर हुई छापेमारी के बाद जल्द ही दो आईपीएस अधिकारियों सहित कुछ रसूखदारों पर भी शिकंजा कस सकता है। इसमें एसीबी की तत्कालीन प्रमुख और उनके करीबी अधिकारियों के भी नाम सामने आ सकते हैं।
जल्द होंगे नए राजफाश
राज्य सरकार ने इस पूरे प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी थी। अब सीबीआई की जांच के बाद इस बहुचर्चित घोटाले में कई और राजफाश होने की संभावना जताई जा रही है।
गवाहों को प्रभावित करने का आरोप
- 4 नवंबर को ईओडब्लू ने अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला और पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा पर एफआईआर दर्ज की।
- आरोप है कि तीनों ने अपने पद और प्रभाव का दुरुपयोग कर गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश की।
- इसी मामले में ईडी ने भी वर्ष 2019 में केस दर्ज किया था। वाट्सएप चैट से खुली साजिश की परतें।
- अनिल टुटेजा, आलोक शुक्ला और सतीशचंद्र वर्मा के बीच कोडवर्ड में की गई वाट्सएप चैट सामने आई।
- इन चैट्स से यह स्पष्ट हुआ कि लोक कर्तव्य में गड़बड़ी करने के लिए आपसी षड्यंत्र रचा गया।
- राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो के दस्तावेजों में फेरबदल कर हाईकोर्ट में पक्ष मजबूत करने की कोशिश की गई।
- उद्देश्य था, नागरिक आपूर्ति निगम मामले में अग्रिम जमानत हासिल करना।