Chhattisgarh High Court: कस्टमर से सेक्सुअल हैरेसमेंट करने वाले SBI कर्मचारी को मिली सजा को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रखा बरकरार

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June 17, 2025


Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक के एक कर्मचारी को महिला ग्राहक के साथ यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार करने के आरोप में दी गई सजा को बरकरार रखा है। कर्मचारी को दो इंक्रीमेट रोकने की सजा सुनाई गई थी। कोर्ट ने कहा कि लगाया गया दंड न तो चौंकाने वाला है और न ही असंगत है।

By Prashant Pandey

Publish Date: Sat, 14 Jun 2025 10:16:14 AM (IST)

Updated Date: Sat, 14 Jun 2025 10:19:42 AM (IST)

Chhattisgarh High Court: कस्टमर से सेक्सुअल हैरेसमेंट करने वाले SBI कर्मचारी को मिली सजा को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने रखा बरकरार
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट बिलासपुर की तस्वीर।

HighLights

  1. महिला ग्राहक के साथ यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार का आरोप।
  2. एसबीआई ने उस कर्मचारी के दो इंक्रीमेंट को रोक दिया था।
  3. कर्मचारी ने इस एक्शन के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी।

नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। भारतीय स्टेट बैंक ने अपने एक कर्मचारी पर महिला ग्राहक के साथ यौन उत्पीड़न और दुर्व्यवहार करने के आरोप की पुष्टि के बाद दो इंक्रीमेट रोकने की सजा सुनाई है। इसके खिलाफ कर्मचारी ने छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मामले की सुनवाई के बाद कोर्ट ने एसबीआई के निर्णय को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया है।

याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद कुमार वर्मा की डिवीजन बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने कहा कि दस्तावेजों से यह पता चलता है कि शिकायत की जांच सक्षम अधिकारी द्वारा की गई है। अधिकारी की क्षमता के संबंध में कोई आरोप नहीं है।

दो इंक्रीमेंट रोकने का दंड लगा था

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जांच रिपोर्ट के बाद एसबीआई ने रिटायरमेंट तक संचयी प्रभाव से उसके वर्तमान वेतनमान से दो वेतन वृद्धि कम करने का दंड लगाया गया था। जिसे अपीलीय प्राधिकारी द्वारा संचयी प्रभाव से दो वेतन वृद्धि रोकने के लिए संशोधित किया गया था। लिहाजा लगाया गया दंड न तो चौंकाने वाला है और न ही असंगत है।

छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट एसबीआई शाखा के ग्राहक सहायक ने सिंगल बेंच के आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच में याचिका दायर की थी। शुरुआत में याचिकाकर्ता पर महिला ग्राहक के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया गया था।

आरोप की जांच के दौरान जांच अधिकारी ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए पड़ताल शुरू की। इसमें ग्राहक, कर्मचारियों और सहकर्मियों के साथ दुर्व्यवहार, कर्मचारियों/ग्राहकों का यौन उत्पीड़न, ग्राहक सेवा में देरी, महिला ग्राहकों पर अपमानजनक टिप्पणी करना और आदतन देर से आना और बहस करने वाला रवैया।

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याचिकाकर्ता पर आरोप लगाया गया कि ब्रांच में नकारात्मक माहौल बनाने के चलते बिजनेस प्रभावित होने के अलावा आफिस का अनुशासन बिगाड़ने का आरोप लगाया गया। इसके अलावा यौन उत्पीड़न पर आंतरिक शिकायत समिति के अध्यक्ष ने उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की। याचिकाकर्ता को 3 आरोपों में दोषी पाया गया और 3 अन्य आरोप आंशिक रूप से साबित हुए।

इंक्रीमेंट रोक की मिली सजा

अनुशासनात्मक अधिकारी ने रिटायरमेंट तक संचयी प्रभाव से उनके वर्तमान वेतनमान से दो वेतन वृद्धि कम करने का दंड लगाया। और आगे यह दंड लगाया गया कि वे 2 साल की अवधि के लिए वेतन वृद्धि के लिए पात्र नहीं होंगे।

इस आदेश के खिलाफ याचिकाकर्ता ने बी एंड ओ रायपुर मॉड्यूल से अपील की, जिन्होंने सजा को संशोधित करते हुए संचयी प्रभाव से दो वेतन वृद्धि रोकने के लिए दंड को बढ़ा दिया। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में बताया है कि उसके खिलाफ लगाए गए आरोप झूठे थे और पीड़ितों के बयान दर्ज नहीं किए गए थे। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि गवाहों से जिरह करने का अवसर नहीं दिया गया।

बैंक प्रबंधन ने कोर्ट को दी ये जानकारी

याचिकाकर्ता के खिलाफ गंभीर प्रकृति के आरोप थे। यौन उत्पीड़न से संबंधित आरोपों की जांच आंतरिक शिकायत समिति ने की थी। जांच के बाद आरोप को प्रमाणित किया गया। याचिकाकर्ता के खिलाफ लगाए गए तीन आरोप पूरी तरह और तीन आंशिक रूप से साबित हुए थे। मामले की सुनवाई के बाद डिवीजन बेंच ने रिट याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने सिंगल बेंच के फैसले को सही ठहराते हुए रिट याचिका को खारिज कर दिया है।



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