बेल लेने थाने पहुंचा भिलाई का पार्षद, पुलिस ने गिरफ्तार कर भेज दिया जेल

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March 22, 2025


पार्षद जालंधर सिंह वैशाली नगर थाने में बेल बांड जमा करने पहुंचे थे। तब प्रभारी थानेदार अमित अंदानी ने उन्हें एक पुराने मामले का हवाला देकर गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। इस मामले में हाई कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई है।

By Shashank Shekhar Bajpai

Publish Date: Tue, 18 Mar 2025 12:52:55 PM (IST)

Updated Date: Tue, 18 Mar 2025 12:52:55 PM (IST)

बेल लेने थाने पहुंचा भिलाई का पार्षद, पुलिस ने गिरफ्तार कर भेज दिया जेल
गिरफ्तार किए गए भाजपा पार्षद संतोष उर्फ जालंधर सिंह को कोर्ट से राहत मिली है।

HighLights

  1. वैशाली नगर का मामला, हाई कोर्ट से मिल गई थी अग्रिम जमानत।
  2. थाने में बेल लेने गए पार्षद को पुलिस ने गलत तरीके से गिरफ्तार किया।
  3. हाई कोर्ट ने रिहा करने दिया आदेश, अगली सुनवाई 24 मार्च को होगी।

नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। वैशाली नगर थाना क्षेत्र में एक पुराने मामले में अग्रिम जमानत मिलने के बाद थाने में बेल लेने गए भाजपा पार्षद को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। गिरफ्तार किए गए भाजपा पार्षद संतोष उर्फ जालंधर सिंह को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने राहत देते हुए 24 घंटे के भीतर रिहा करने का आदेश दिया है।

हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि उनकी गिरफ्तारी अवैधानिक तरीके से की गई थी। इसके साथ ही अगली सुनवाई के लिए 24 मार्च की तिथि निर्धारित की गई है। भिलाई के वैशाली नगर थाने में 21 मार्च 2023 को कश्मा यादव द्वारा धारा 420 और 34 के तहत एन. धनराजू और अरविंद भाई के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई थी।

इसी मामले में भाजपा पार्षद संतोष उर्फ जालंधर सिंह को भी आरोपित बनाया गया था। मामले को लेकर एन. धनराजू ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। हाई कोर्ट ने जांच में देरी पर सख्ती दिखाते हुए 29 जनवरी 2025 को डीजीपी और दुर्ग एसपी से स्पष्टीकरण मांगा था।

कोर्ट ने जांच में देरी पर उठाए सवाल

हाई कोर्ट ने दुर्ग एसपी द्वारा प्रस्तुत शपथपत्र को असंतोषजनक मानते हुए नामंजूर कर दिया और इसके बाद डीजीपी से रिपोर्ट मांगी। 21 फरवरी 2025 को डीजीपी ने शपथपत्र प्रस्तुत कर बताया कि जांच में लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। कोर्ट ने जांच छह सप्ताह में पूरी करने का निर्देश देते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया था।

अवैधानिक गिरफ्तारी पर लगाई फटकार

हाई कोर्ट में एडवोकेट बीपी. सिंह ने तर्क दिया कि जिस मामले में गिरफ्तारी की गई, वह मामला 2017 का है। आठ साल बाद मामले को सामने लाया जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि जांच में गड़बड़ी करने वाले अधिकारी को डीजीपी ने पहले ही दंडित किया है।

एडवोकेट सिंह ने अर्नब गोस्वामी बनाम महाराष्ट्र सरकार के मामले का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को अवैधानिक रूप से अभियोजित कर जेल भेजा गया है। लिहाजा, उनकी रिहाई का अधिकार बनता है।

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मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने सुनवाई के बाद 12 मार्च को जारी आदेश में संतोष सिंह उर्फ जालंधर सिंह को 24 घंटे के भीतर रिहा करने का आदेश दिया। इसके साथ ही कोर्ट ने इस आदेश की प्रति डीजीपी और जिला जज दुर्ग को भेजने का निर्देश दिया, ताकि संबंधित मजिस्ट्रेट शीघ्र आदेश का पालन सुनिश्चित कर सकें।



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